धारावी पहुंचे राहुल गांधी, चमड़ा उद्योग के मजदूरों से की मुलाकात

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लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को मुंबई में धारावी के चमड़ा केंद्र का दौरा किया। यहां उन्होंने चमड़ा उद्योग से जुड़े मजदूरों से बातचीत भी की।
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राहुल गांधी की इस यात्रा का उद्देश्य चमड़ा उद्योग के कार्यबल को पेश आने वाली चुनौतियों को समझना था। राहुल गांधी ने जिन विनिर्माण इकाइयों का दौरा किया उनमें ‘चमार स्टूडियो’ भी शामिल है, जिसे सुधीर राजभर ने स्थापित किया है।
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दरअसल, धारावी दुनिया के सबसे बड़े चमड़ा केंद्रों में से एक है, जिसमें हजारों चमड़ा विनिर्माण इकाइयां हैं। इन सब में एक लाख से अधिक कर्मचारी काम करते हैं।
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इस दौरान राहुल गांधी ने कहा, “चमार स्टूडियो के सुधीर राजभर ने भारत के लाखों दलित युवाओं के जीवन और यात्रा को समेटा है। बेहद प्रतिभाशाली, विचारों से भरपूर और सफल होने के लिए भूखे लेकिन अपने क्षेत्र के अभिजात वर्ग से जुड़ने के लिए पहुंच और अवसर की कमी।”
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राहुल गांधी ने कहा, “हालांकि, अपने समुदाय के कई अन्य लोगों के विपरीत, उन्हें अपना खुद का नेटवर्क बनाने का अवसर मिला। उन्होंने धारावी के कारीगरों के छिपे हुए कौशल को समझा और उन्होंने एक ऐसा ब्रांड बनाया जिसे वैश्विक स्तर पर फैशन के सबसे प्रतिष्ठित गलियारों में पहचाना जाता है।”
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राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “चमार स्टूडियो की सफलता इस बात पर प्रकाश डालती है कि किस प्रकार पारंपरिक कारीगरी और आधुनिक उद्यमशीलता एक साथ मिलकर काम कर सकती है, ताकि कुशल कारीगरों को उस सफलता का एक हिस्सा मिल सके, जिसे उन्होंने अपने हाथों से निर्मित किया है। आज धारावी में सुधीर और उनकी टीम के साथ काम करते हुए, मैंने समावेशी उत्पादन नेटवर्क के महत्व को रेखांकित किया जो विभिन्न क्षेत्रों में कुशल श्रमिकों को आगे बढ़ाता है।”
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राहुल गांधी ने कहा, “मुझे लगा कि सुधीर के लिए अपने ज्ञान और अनुभव को दूसरों के साथ साझा करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, इसलिए हम अपने मित्र रामचेत मोची को सुल्तानपुर से उनसे मिलवाने के लिए लाए ताकि हम समझ सकें कि डिजाइन और नवाचार किस प्रकार उनके व्यवसाय को बदल सकते हैं।”
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राहुल गांधी ने आगे कहा कि उन्होंने लोकसभा में कहा था कि कैसे एक समृद्ध भारत का निर्माण केवल “उत्पादन और भागीदारी” के माध्यम से ही किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “चमार स्टूडियो की सफलता दर्शाती है कि यह मॉडल कारगर है – और मुझे उम्मीद है कि हम इस तरह के मॉडल को पूरे भारत में अपना सकेंगे।”
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अपनी यात्रा के दौरान गांधी को चमड़ा उद्योग के मजदूरों से उनके और उनके परिवार के लिए उपहार के रूप में चमड़े के बैग और बटुए मिले।
RAGA NEWS ZONE
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