Himachal में भी बढ़ रहे ब्रेन स्ट्रोक के मामले, 40 फीसदी युवा-बच्चे भी चपेट में, जानें-लक्षण
शिमला. हिमाचल प्रदेश में ब्रेन स्ट्रोक के मामले लगातार बढ़ने लगे हैं. पहले 55 साल की उम्र वालों को ये समस्या हो रही थी. लेकिन अब 30-40 की उम्र वाले इस जानलेवा समस्या की चपेट में आ रहे हैं. बढ़ता प्रदूषण, जीवनशैली की गड़बड़ी ब्रेन समस्या के प्रमुख कारक हैं. हिमाचल के आंकड़ों की बात करें तो अब लगातार करीब कि 40 फीसदी तक युवा और बच्चे भी की इसकी चपेट में आ रहे हैं.
स्ट्रोक की हालत में ये देखते रहे कि पीड़ित व्यक्ति सांस लें, अगर उसे सांस लेने में किसी भी तरह की समस्या आ रही है तो इस स्थिति में पीड़ित व्यक्ति के कपड़े ढीले कर दें. पीड़ित व्यक्ति के शरीर को जितना हो सके गर्म रखने की कोशिश करें. ऐसे में पीड़ित व्यक्ति के शरीर पर कंबल डाल दें और चारों तरफ से कवर कर के रखें. पीड़ित व्यक्ति को कुछ भी खाने पीने को न दें. इसके अलावा हरकतों पर ध्यान रखें और अस्पताल जाने के बाद डॉक्टर को मरीज के लक्षणों के बारे में बताएं.
क्यों आ रहे हैं ऐसे मामले
स्वास्थ्य समस्याओं के चलते युवा आबादी को ब्रेन स्ट्रोक की चपेट में आ रही है. ऐसे में लाइफस्टाइल में सुधार करना जरूरी है. डॉ. सुधीर शर्मा का कहना है कि फैट कोलेस्ट्रॉल से भरपूर आहार खाने से स्ट्रोक और हृदय रोगों से मृत्यु का खतरा अधिक हो सकता है. इसके अलावा, आहार में बहुत अधिक नमक (सोडियम) के कारण भी ब्लड प्रेशर का स्तर बढ़ता जा रहा है. जो लोग शारीरिक रूप से निष्क्रिय रहते हैं. दिन का अधिकतर समय बैठे-बैठे बिता देते हैं, उन लोगों में स्ट्रोक होने का खतरा अधिक देखा गया. मरीज की सभी से बचाव के लिए इन आदतों में सुधार करना बहुत आवश्यक है.
ब्रेन स्ट्रोक में फौरन लक्षणों की पहचान करने के साथ तुरंत इलाज की जरूरत होती है. स्ट्रोक तब होता है जब रक्त की आपूर्ति कम या बाधित होने के कारण दिमाग के सैल्स मरने लगते हैं. ये बात आईजीएमसी के डॉ. सुधीर शर्मा, प्रोफेसर न्यूरो मेडिसिन और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल चम्याना ने कही. डॉ. सुधीर ने बताया कि आईजीएमसी आने वाले मरीजों में 85 फीसदी लोग ब्लॉकेज के कारण ब्रेन स्टोक होता है, जबकि 15 फीसदी ही नसों के फटने से ब्रेन स्टोक के मामले अस्पताल आ रहे है. उनका कहना था कि जब भी ब्रेन स्टोक के लक्षण दिखे तो समय पर अस्पताल आएं.