विकास परियोजनाओं में देरी होने पर होगी कार्रवाई, एक्शन में CM नायब; सभी प्रोजेक्ट्स को समय से पूरा करने के दिए निर्देश

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सिंचाई और जल संसाधन से जुड़ी परियोजनाओं की इंजीनियरिंग ड्राइंग में अनावश्यक देरी हुई तो संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। ड्राइंग के अनुमोदन में देरी के चलते परियोजनाओं के क्रियान्वयन में विलंब होता है। 

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने ड्राइंग में अनुमोदन में देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। सोमवार को सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की परियोजनाओं की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में 100 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाली पांच प्रमुख परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। 

इन परियोजनाओं का उद्देश्य जल संरक्षण को बढ़ाना और सिंचाई दक्षता में सुधार करना है। गुणवत्ता में किसी भी प्रकार से समझौता नहीं किया जाएगा। बैठक में बताया गया कि दादूपुर से हमीदा हेड तक नई समानांतर लाइन चैनल (पीएलसी) और पश्चिमी यमुना नहर (डब्ल्यूजेसी) का आधुनिकीकरण 275करोड़ रुपये में किया जा रहा है।

इस परियोजना से गैर-मानसून अवधि के दौरान हथिनीकुंड बैराज से रिसाव के नुकसान को कम किया जा सकेगा है। अब तक 65 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।परियोजना को अगले साल मार्च तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। डब्ल्यूजेसी ब्रांच (75.25 किमी) तक आग्मेंटेशन नहर का पुनर्निर्माण 383 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। 

इस परियोजना का 81 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है और जून तक पूरा होने की संभावना है। इसी प्रकार पीडी ब्रांच (मुनक से खुबडु हेड) की लाइनिंग और रीमाडलिंग का कार्य 198 करोड़ रुपये से किया जा रहा है। इस परियोजना के अंतर्गत 145.25 किलोमीटर में कंक्रीट लाइनिंग का कार्य शामिल है।

इसी तरह 146 करोड़ रुपये की लागत वाली हथिनीकुंड बैराज के डाउनस्ट्रीम में डायाफ्राम वाल के निर्माण की संरचनात्मक सुरक्षा परियोजना का कार्य प्रगति पर है। गोरखपुर हरियाणा अणु विद्युत परियोजना (एनपीसीआइएल) के तहत गोरखपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र को पानी की आपूर्ति के लिए 443 करोड़ रुपये की लागत से आरसीसी बैरल और लिंक चैनल का निर्माण किया जा रहा है। इसका अधिकतर कार्य पूरा हो चुका है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि मानसून के दौरान निर्बाध जल आपूर्ति और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अल्पकालिक रणनीतियों की रूपरेखा तैयार की है। इसमें हथिनीकुंड बैराज पर अस्थायी सुरक्षात्मक कार्य और महत्वपूर्ण नहरों में निर्वहन क्षमता को अधिकतम करना शामिल है। 

प्रदेश सरकार इन मेगा-प्रोजेक्ट्स के समय पर क्रियान्वयन के लिए प्रतिबद्ध है। इस दौरान मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के आयुक्त एवं सचिव मोहम्मद शाइन ने भी अपनी बात रखी।

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