🪷 *हिन्दू पँचांग* 🪷

*4 – 5 – 2025*

🪷 *विक्रम सम्वत~ 2082 (सिद्धार्थ)*

🪷 *दिन ~ रविवार*

🪷 *अयन ~ उत्तरायण*

🪷 *द्रिक ऋतु ~ ग्रीष्म*

🪷 *कलयुग ~ 5125 साल*

🪷 *सूर्योदय~ 05:38* (*दिल्ली*)

🪷 *सूर्यास्त ~ 18:58*

🪷 *चन्द्रोदय ~ 11:37*

🪷 *चन्द्रास्त ~ 25:36+*

🪷 *तिथि~ सप्तमी*

🪷 *नक्षत्र ~ पुष्य*

🪷 *चंद्र राशि ~ कर्क*

🪷 *पक्ष ~ शुक्ल पक्ष*

🪷 *मास ~ वैशाख*

🪷 *करण ~*

*वणिज~ 07:51 तक।*

*विष्टि ~ 19:28*

🪷 *अभिजीत मुहुर्त ~*

*11:51 – 12:45*

🪷 *राहु काल ~*

*17:18 – 18:58*

🪷 *गण्डमूल ~*

*4-मई 12:53 से, 6-मई 15:52 तक*

*14- मई 11:47 16- मई 16:07 तक*

🪷 *पंचक~*

*20- मई 7:35 से, 24- मई 13:48 तक*

🪷 *दिशा शूल ~ पश्चिम*

🪷 *योग ~*

*गण्ड : इस योग में किए गए हर कार्य में अड़चनें ही पैदा होगी और वह कार्य कभी भी सफल नहीं होगा ना ही कोई मामला कभी हल होगा। मामला उलझता ही जाएगा। इस योग किया गया कार्य इस तरह उलझता है कि व्यक्ति सुलझाते सुलझाते थक जाता है लेकिन कभी वह मामला सही नहीं हो पाता। इसलिए कोई भी नया काम शुरू करने से पहले गण्ड योग का ध्यान अवश्य करना चाहिए।*

🪷 *यात्रा ~*

*रविवार*

*यात्रा प्रारंभ करते समय शक्कर अथवा उससे बने पदार्थ खाकर या घी अथवा उससे बने पदार्थ सेवन कर यात्रा करें तो सफलता मिलती है। यदि घी-शक्कर दोनों से संयुक्त व्यंजन का सेवन किया जाए तो सफलता मिलने की संभावना प्रबल होती है।*

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🪷 *स्वास्थ्य, पद, प्रतिष्ठा और सुख के लिये सूर्य की उपासना की जाती है।*

🪷 *रविवार सूर्य उपासना का दिन है।*

🪷 *सूर्य उपासना में बोले जाने वाला एक विशेष मंत्र जिसे ज्ञानशक्ति रूप मां गायत्री की भी उपासना का फल प्राप्त होता है।*

🪷 *यह मंत्र है सूर्य गायत्री मंत्र। यह मंत्र जप रविवार के अलावा नियमित रूप करना भी बहुत शुभ होता है -*

🪷 *रविवार को प्रात: स्नान कर सूर्य की प्रतिमा या तस्वीर की कुमकुम, अक्षत, फूल अर्पित कर धूप और दीप से आरती करें, सूर्यदेव को अर्घ्य दें और यथाशक्ति इस मंत्र का जप करें ~*

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*ॐ भास्कराय विद्महे,*

*महातेजाय धीमहि*

*तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्।।*

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🪷 *यह मंत्र जप किसी भी मुश्किल हालात में मन ही मन स्मरण करने पर मनचाहे नतीजे भी देने वाला माना गया है।*

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