🪷 *हिन्दू पँचांग* 🪷

*2 – 5 – 2025*

🪷 *विक्रम सम्वत~ 2082 (सिद्धार्थ)*

🪷 *दिन ~ शुक्रवार*

🪷 *अयन ~ उत्तरायण*

🪷 *द्रिक ऋतु ~ ग्रीष्म*

🪷 *कलयुग ~ 5125 साल*

🪷 *सूर्योदय~ 05:40* (*दिल्ली*)

🪷 *सूर्यास्त ~ 18:57*

🪷 *चन्द्रोदय ~ 09:28*

🪷 *चन्द्रास्त ~ 24:13+*

🪷 *तिथि~ पंचमी*

🪷 *नक्षत्र ~ आर्द्रा*

🪷 *चंद्र राशि ~ मिथुन*

🪷 *पक्ष ~ शुक्ल पक्ष*

🪷 *मास ~ वैशाख*

🪷 *करण ~*

*विष्टि~ 11:23 तक।*

*बव ~ 22:13*

🪷 *अभिजीत मुहुर्त ~*

*11:52 – 12:45*

🪷 *राहु काल ~*

*10:39 – 12:18*

🪷 *गण्डमूल ~ ×*

🪷 *पंचक~ ×*

🪷 *दिशा शूल ~ पश्चिम*

🪷 *योग ~*

*धृति योग : किसी भवन एवं स्थान का शिलान्यास, भूमी पूजन या नींव पत्थर रखने के लिए घृति योग को उत्तम माना गया है। इस योग में रखा गया नींव पत्थर आजीवन सुख-सुविधाएं देता है अर्थात यदि रहने के लिए किसी घर का शिलान्यास यदि इस योग में किया जाए तो इंसान उस घर में रहकर सब सुख-सुविधाएं प्राप्त करता हुआ आनंदमय जीवन व्यतीत करता है।*

🪷 *यात्रा ~*

*शुक्रवार*

*दही या उससे बने पदार्थ का सेवन करके यात्रा करने से अनुकूलता आती है।*

🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷

🪷 *लक्ष्मी स्तवन का पाठ हर शाम, शुक्रवार या अन्य किसी भी विशेष लक्ष्मी पूजा की शुभ घड़ी में करने पर वैभव, ऐश्वर्य के साथ सारे मनोरथ पूरे करती हैं।*

🪷 *संस्कृत भाषा या व्याकरण की जानकारी न होने पर आप इसके हिन्दी अर्थ का भी पाठ कर लक्ष्मी की प्रसन्नता से दरिद्रता दूर कर सकते हैं।*

🪷 *लक्ष्मी मंत्र स्तवन -*

*या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी । या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी ॥ या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी । सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥*

🪷 *इस चमत्कारी लक्ष्मी स्तवन का सरल शब्दों में मतलब है – लाल कमल पर रहने वाली, अद्भुत आभा और कांतिवाली, असह्य तेजवाली, रक्त की भाति लाल रंग वस्त्र धारण करने वाली, मन को आनंदित करने वाली, समुद्रमंथन से प्रकट हुईं विष्णु भगवान की पत्नी , भगवान विष्णु को अति प्रिय, कमल से जन्मी है और अतिशय पूज्य मां लक्ष्मी आप मेरी रक्षा करें और मनोरथ पूरे कर जीवन वैभव और ऐश्वर्य से भर दे।*

🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷

RAGA NEWS ZONE Join Channel Now

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *