हरियाणा में सरकारी नौकरी के नाम पर बढ़ रहे ठगी के मामले, बेरोजगार बन रहे निशाना; अब हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान

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चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab Haryana High Court) ने हरियाणा के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि राज्य में रोजगार कार्यालयों की कार्यक्षमता को लेकर विस्तृत जानकारी हाईकोर्ट को सौंपी जाए।
हाईकोर्ट ने यह आदेश जाब स्कैम (नौकरी घोटाले) से संबंधित एक आरोपित की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। जस्टिस महाबीर सिंह सिंधु ने इस मामले की सुनवाई के दौरान चिंता व्यक्त की है कि राज्य के रोजगार कार्यालय संभवत अपेक्षित उद्देश्य के लिए कार्यशील नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा कि यह व्यापक जांच का हिस्सा है, जिसमें हरियाणा में फर्जीवाड़े के जरिए सरकारी नौकरियों का झांसा देकर पैसे ऐंठने के आरोपों की पड़ताल की जा रही है। यह मामला 27 जून 2024 को फतेहाबाद में दर्ज हुआ था, जिसमें आरोपित सुशील कुमार पर लगभग 15 लोगों से सरकारी नौकरियां दिलाने का झूठा वादा करने व पैसे ऐंठने का आरोप है।
जांच में यह सामने आया कि इस धोखाधड़ी में पैसे के लेनदेन के लिए एक अन्य हरप्रीत सिंह के बैंक खाते का इस्तेमाल किया गया। हरप्रीत सिंह की ओर से अदालत में दलील दी गई कि हरप्रीत को इस मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है और उसका इस अपराध से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है।
बात दें कि हरियाणा सरकार ने स्वयं नौकरियों के लिए झांसे देने के मामलों की जांच की पहल की है। कोर्ट ने हरप्रीत सिंह को फिलहाल गिरफ्तारी से अंतरिम राहत प्रदान की है और निर्देश दिया कि वह जांच में पूरा सहयोग करे। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि हरियाणा में फर्जी नौकरियों के झांसे के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। 

इस संदर्भ में कोर्ट ने राज्य के रोजगार कार्यालयों की कार्यप्रणाली की गहराई से समीक्षा करने का आदेश दिया है। कोर्ट के आदेश के अनुसार ,मुख्य सचिव को यह विवरण शपथ पत्र के माध्यम से देना होगा कि पिछले तीन वर्षों में रोजगार कार्यालयों के जरिये कितने लोगों को रोजगार मिला। 

हरियाणा सरकार को हाई कोर्ट में बताना होगा कि 28 फरवरी 2025 तक कितने लोग इन कार्यालयों में बेरोजगार के रूप में पंजीकृत हैं। इन कार्यालयों में कितनी जनशक्ति कार्यरत है और इनको संचालित करने में राज्य सरकार द्वारा कितनी राशि खर्च की गई है। कोर्ट ने माना कि यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति विशेष की जमानत से जुड़ा नहीं है, बल्कि प्रदेश में युवाओं के रोजगार और सरकारी तंत्र की कार्यकुशलता से भी सीधे जुड़ा है।

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