होली से पहले जंगली भांग को लेकर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट सख्त, नशे के खिलाफ सरकार को दिए ये निर्देश

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पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने जंगली भांग के अनियंत्रित प्रसार को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। चीफ जस्टिस शील नागु और जस्टिस सुमित गोयल की खंडपीठ ने इस मामले पर स्वत संज्ञान का निपटारा करते हुए कहा जंगली भांग की वृद्धि को नियंत्रित करने का एकमात्र प्रभावी तरीका उसका भौतिक/यांत्रिक तरीके से उन्मूलन और नियमित निगरानी है। 

हाई कोर्ट ने कहा कि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना और हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार ने भी इस बात की पुष्टि की कि भांग को हटाने के लिए नियमित सफाई और निगरानी आवश्यक है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि इस रोकथाम और निगरानी की प्रक्रिया को निरंतर जारी रखा जाए और इस संबंध में हर दो महीने में एक अनुपालन रिपोर्ट हाईकोर्ट में दाखिल की जाए। 

कोर्ट ने साफ किया कि यदि अनुपालन रिपोर्ट में कोई कमी पाई जाती है, तो मामला फिर से अदालत के समक्ष लाया जाएगा। इन निर्देशों के साथ, कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया।

एक व्यक्ति जिससे 800 ग्राम सुल्फा बरामद हुआ था उसकी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को बताया गया था कि पंजाब-हरियाणा सचिवालय के निकट और चंडीगढ़ के राजेंद्र पार्क जैसे स्थानों पर बड़ी मात्रा में भांग के पौधे उग रहे हैं। पौधों से सुल्फा और अन्य नशीले पदार्थ तैयार किए जा रहे हैं, जो हरियाणा पंजाब के शहरों और गांवों के युवाओं को आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं। 

हाई कोर्ट ने इसे बेहद गंभीर मामला बताते हुए कहा था कि नशे की यह बढ़ती प्रवृत्ति युवाओं को “दीमक की तरह” खत्म कर रही है। कोर्ट ने कहा कि सरकार इन पौधों को नष्ट करने की जिम्मेदारी से या तो अनजान है या इसे नजरअंदाज कर रही है।

कोर्ट के आदेश पर गठित विशेषज्ञ समिति में कृषि और बागवानी विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ कृषि विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों को शामिल किया गया था।
समिति ने समस्या के स्थायी समाधान के लिए विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट में दी थी। हाई कोर्ट ने हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ प्रशासन को इस रिपोर्ट के आधार पर माना कि जंगली भांग की वृद्धि को नियंत्रित करने का एकमात्र प्रभावी तरीका उसका भौतिक/यांत्रिक तरीके से उन्मूलन और नियमित निगरानी है। 

इसलिए हाई कोर्ट ने सरकारों को तत्काल प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने यह भी कहा कि नशे के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए प्रशासन को पूरी जिम्मेदारी और गंभीरता के साथ इस समस्या का समाधान करना होगा।

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