अमृतसर में वेस्ट कलेक्शन के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के इस्तेमाल से ईंधन खर्च और कार्बन उत्सर्जन में कम से कम 60 प्रतिशत की कमी आ सकती है: CEEW

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अमृतसर में वेस्ट कलेक्शन के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के इस्तेमाल से ईंधन खर्च और कार्बन उत्सर्जन में कम से कम 60 प्रतिशत की कमी आ सकती है: CEEW

🔹 200 डीजल वेस्ट कलेक्शन व्हीकल्स की जगह इलेक्ट्रिक वाहन लाने से शहर को सालाना 50-70 लाख रुपये की बचत हो सकती है।
🔹 इससे सालाना 16,000 किलोग्राम PM2.5 उत्सर्जन घट सकता है, जिससे वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं कम होंगी।
🔹 वेस्ट कलेक्शन व्हीकल्स के निर्धारित मार्ग और उनकी रोजाना उपयोग और निर्धारित पार्किंग व्यवस्था, इन्हें इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करने के लिए आदर्श बनाती है।

नई दिल्ली, 24 जुलाई 2025: डोर-टू-डोर (D2D) वेस्ट कलेक्शन (कचरा संग्रह) करने के लिए डीजल वाहनों की जगह पर इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को लाने से अमृतसर जैसे शहरों और उनके नगर निगमों के ईंधन खर्च में 60-70 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है और डीजल वाहनों की तुलना में कार्बन उत्सर्जन में 64 प्रतिशत तक घट सकता है। यह जानकारी काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (CEEW) के एक स्वतंत्र अध्ययन से सामने आई है, जिसे आज जारी किया गया है। इस अध्ययन में पाया गया है कि अमृतसर और अन्य भारतीय शहरों में वेस्ट कलेक्शन के लिए इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर वाहन डीजल या सीएनजी से चलते हैं। इस तरह के लगभग 200 डीजलवाहनों के इलेक्ट्रिफिकेशन करने से नगर निगम को सालाना 50-70 लाख रुपये से ज्यादा बचत हो सकती है और 16,000 किलोग्राम पीएम2.5 उत्सर्जन कम किया जा सकता है।

सीईईडब्ल्यू (CEEW) का अध्ययन ऐसे समय पर आया है, जब पंजाब के शहर जीवन गुणवत्ता सुधारने के लिए आवश्यक नगरपालिका सेवाओं का आधुनिकीकरण कर रहे हैं। पंजाब अकेला ऐसा राज्य है, जिसने अपनी ईवी पॉलिसी में लक्षित प्रोत्साहनों के माध्यम से अपने वेस्ट कलेक्शन फ्लीट (कचरा संग्रह बेड़े) के इलेक्ट्रिफिकेशन को प्राथमिकता दी है, इसलिए इसके शुरुआती लाभ को राज्यव्यापी अभियान में बदलने का यह उचित समय है। अमृतसर नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत दस लाख से अधिक आबादी वाला एक नॉन-अटेनमेंट शहर है, लेकिन यह अपने डीजल ऑटो-रिक्शा को इलेक्ट्रिक ऑटो-रिक्शा में बदलकर स्वच्छ परिवहन की दिशा में पहले की कदम बढ़ा चुका है। इसकी कुल 14 लाख आबादी है और यह रोजाना 425 टन से अधिक कचरा पैदा करता है। यहां पर घरेलू वेस्ट कलेक्शन के न केवल रूट, बल्कि इनकी पार्किंग भी निर्धारित है। ये सभी स्थितियां इन वाहनों को इलेक्ट्रिफिकेशन के लिए उपयुक्त बनाती हैं। यहां पर घरेलू वेस्ट कलेक्शन के पहले से लागू रूट प्लान को बदले बगैर ईवी को लाया जा सकता है। इन्हें डिपो या पहले से निर्धारित जगहों पर रात भर चार्ज किया जा सकता है, जिससे यह परिवर्तन न केवल किफायती, लॉजिस्टिक रूप से बाधा रहित बन जाता है।

श्री गुलप्रीत सिंह औलख, कमिश्नर, नगर निगम, अमृतसर ने कहा, “अमृतसर ने ईवी ट्रांजिशन में सक्रियता से कदम बढ़ाया है। खास तौर पर अमृतसर में ऑटो-रिक्शा पुनरुद्धार योजना (RAAHI) के माध्यम से कदम उठाया गया है, जिसने डीजल यात्री ऑटो को इलेक्ट्रिक ऑटो से बदलने में मदद की है। डोर-टू-डोर वेस्ट कलेक्शन वाहनों में इलेक्ट्रिफिकेशन की व्यापक संभावना मौजूदा है, जैसा कि CEEW के इस समयानुकूल अध्ययन में रेखांकित किया गया है। इस बदलाव के माध्यम से, नगर निकाय उत्सर्जन घटा सकते हैं, ध्वनि प्रदूषण में कमी ला सकते हैं, और अपने ईंधन खर्च में कटौती कर सकते हैं।”

डॉ. हिमानी जैन, सीनियर प्रोग्राम लीड, सीईईडब्ल्यू ने कहा, “शहरी स्वच्छता में सुधार लाने के लिए स्वच्छ भारत मिशन के साथ, वेस्ट कलेक्शन को क्लीन मोबिलिटी से जोड़ने का एक स्पष्ट अवसर मौजूद है। डोर-टू-डोर वेस्ट कलेक्शन इलेक्ट्रिफिकेशन के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है, क्योंकि इसके मार्ग निश्चित हैं, प्रक्रिया नियमित है, और अधिकांश शहरी स्थानीय निकायों के पास पार्किंग उपलब्ध है। हमारे अध्ययन में पाया गया है कि शुरुआती लागत ज्यादा होने के बावजूद ईवी की लाइफ-टाइम सेविंग (तकनीकी तौर पर वैध जीवन-अवधि) में काफी बचत देते हैं, खासकर जब कचरा संग्रह का प्रति टन के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है। यह अध्ययन इस परिवर्तन को एक शहर से आगे बढ़ाकर राष्ट्रव्यापी प्रयास बनाने के लिए जरूरी आंकड़े और उपाय उपलब्ध कराता है।”

अभी अमृतसर में वेस्ट कलेक्शन करने वाले वाहन प्रति वर्ष 3.6 लाख लीटर से अधिक डीजल की खपत करते हैं। इनसे निकलने वाला धुआं हवा की गुणवत्ता खराब करता है और शहर का कार्बन फुटप्रिंट भी बढ़ाता है। सीईईडब्ल्यू के विश्लेषण से पता चलता है कि केवल इस क्षेत्र के इलेक्ट्रिफिकेशन से प्रदूषण में काफी कमी लाई जा सकती है और परिचालन दक्षता (ऑपरेशनल इफीशियंसी) में सुधार लाया जा सकता है, जिससे यह क्षेत्र पंजाब की ईवी पॉलिसी 2022 के तहत तत्काल कदम उठाने के लिए एक सशक्त दावेदार बन जाता है।

सीईईडब्ल्यू अध्ययन उपयोग के आधार पर वेस्ट कलेक्शन फ्लीट के लिए अलग-अलग तरह के इलेक्ट्रिक वाहनों को अनुकूलित करने या तैयार करने की भी स्पष्ट जानकारी देता है। अभी 15-20 किमी दैनिक दूरी पर 300 किलोग्राम पेलोड वाले छोटे ई-कार्ट सर्वाधिक किफायती (लागत प्रभावी) हैं। 50 किमी या उससे अधिक दूरी वाले मार्गों के लिए, 550 किलोग्राम पेलोड वाले इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहन लागत के मामले में अधिक उपयुक्त पड़ते हैं, जिन्हें सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने एल5एन (L5N) वाहनों के रूप में वर्गीकृत किया है।

पंजाब में इस परिवर्तन (ट्रांजिशन) को बड़े पैमाने पर लागू करने के लिए, सीईईडब्ल्यू अध्ययन मौजूदा वेस्ट कलेक्शन करने वाले वाहनों की कुल संख्या का आकलन करने, नगर निगम डिपो में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने सहित एक चरणबद्ध परिवर्तन योजना (फेज्ड ट्रांजिशन प्लान) बनाने और कई शहरों/कस्बों में मांग के एकीकरण की सिफारिश करता है। आर्थिक और जलवायु के संयुक्त लाभों के साथ, यह विश्लेषण संपूर्ण पंजाब के अन्य शहरी स्थानीय निकायों – जिनमें लुधियाना, जालंधर, बठिंडा और पटियाला शामिल हैं – और कम उत्सर्जन वाली शहरी सेवाओं के लिए राष्ट्रीय स्तर की योजना की भी जानकारी देता है। इसमें अध्ययन में यह भी अनुमान लगाया गया है कि 2030 तक एक लाख से अधिक आबादी वाले भारतीय शहरों में 80,000 से अधिक डोर-टू-डोर वेस्ट कलेक्शन वाहनों की जरूरत होगी। इसके लिए इस अध्ययन में इलेक्ट्रिफिकेशन के विभिन्न परिदृश्यों को भी विकसित किया गया है।

पूरी रिपोर्ट यहां पर पढ़ें: https://www.ceew.in/publications/potential-of-electrifying-door-to-door-waste-collection-vehicles-fleets-for-ev-transition-in-india

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