तिरुपति लड्डू विवाद: सुप्रीम कोर्ट की सख्त चेतावनी, कहा ‘भगवान को राजनीति से दूर रखें’

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तिरुपति लड्डू विवाद से जुड़े मामले पर पर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि भगवान को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। यह मामला आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा लड्डू में एनिमल फैट, फिश ऑयल जैसे चीजें मिलने का आरोप लगाने के बाद उठा था। कोर्ट ने मुख्यमंत्री की ओर से मीडिया में इस मुद्दे को उठाए जाने पर भी सवाल किए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भगवान से जुड़े मामलों में इस बात का ध्यान रखा जाना  चाहिए कि किसी की धार्मिक भावनाएं आहत नहीं हो।

सुप्रीम कोर्ट ने ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि भगवान को राजनीति से दूर रखा जाए, फिर मुख्यमंत्री ने प्रेस में रिपोर्ट क्यों जारी की?” कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री का सीधे मीडिया में आकर बयान देना कहां तक सही है।  बता दें कि बीते हफ्ते चंद्रबाबू नायडू ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तिरुपति लड्डू, में गाय की चर्बी और मछली के तेल के इस्तेमाल का आरोप लगाया था। इसके लिए राज्य की पिछली वाईएसआर कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया था। इसके बाद पूरे देश में इस बात को लेकर बहस शुरू हो गई थी।

आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद के रूप में दिए जाने वाले लड्डू में गाय की चर्बी (beef tallow), मछली का तेल (fish oil), और सुअर की चर्बी (lard) होने के आरोप लगाए गए थे। इन आरोपों के चलते राज्य में काफी विवाद हुआ। मुख्यमंत्री नायडू ने लैब की रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह जानकारी दी थी। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मामले को लेकर सुप्रीम काेर्ट में याचिका दायर की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि धार्मिक आस्थाओं को राजनीति का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए। कोर्ट ने पूछा, “मुख्यमंत्री को यह रिपोर्ट प्रेस में क्यों जारी करनी पड़ी?” कोर्ट ने साफ कहा कि धार्मिक और राजनीतिक मुद्दों को एक-दूसरे से अलग रखा जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले इस प्रकार के मामलों को संवेदनशीलता से निपटाया जाना चाहिए।

तिरुपति लड्डू विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 2 अक्टूबर 2024 को होगी। कोर्ट ने मामले की पूरी जांच के आदेश दिए हैं। जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि तिरुपति लड्डू में वाकई कोई मिलावट की गई थी या यह महज एक राजनीतिक साजिश थी। अदालत ने चेतावनी दी कि इस तरह के मामलों में धार्मिक आस्थाओं का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।

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