अकाली दल को झटका, अनिल जोशी ने प्राथमिक सदस्यता से दिया इस्तीफा

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एक तरफ जहां शिरोमणि अकाली दल 4 विधानसभा क्षेत्रों में हो रहे उपचुनाव में हिस्सा नहीं ले रही है, ऐसे में वोटिंग के बीच पार्टी को बड़ा सियासी झटका लगा है. पूर्व मंत्री और अकाली दल के वरिष्ठ नेता अनिल जोशी ने इस्तीफा दे दिया है.

अनिल जोशी 2021 में शिरोमणि अकाली दल में शामिल हुए। जिसके बाद उन्होंने 2022 में अकाली दल के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

पंजाब के असली मुद्दों पर कोई बात नहीं- जोशी

अनिल जोशी ने अपने इस्तीफे में कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़ को संबोधित करते हुए लिखा कि हाल की घटनाओं को देखकर ऐसा लगता है कि शिरोमणि अकाली दल केवल सांप्रदायिक एजेंडे में उलझ गया है. अनिल जोशी ने लिखा कि वह सिर्फ इसलिए शिरोमणि अकाली दल में शामिल हुए. क्योंकि उन्हें लगता था कि दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल पंजाब की एकता और आपसी भाईचारे के ध्वजवाहक थे. 5 साल तक मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने हर धर्म का सम्मान किया.

अनिल जोशी ने आगे लिखा कि उन्हें सुखबीर सिंह बादल में भी यही सोच नजर आती है. जोशी ने कहा कि इन दिनों हो रहे घटना क्रम को देखकर मुझे लगा कि पंजाब के असली मुद्दों पर चर्चा नहीं हो रही है. मुझे सांप्रदायिक राजनीति में अपने लिए कोई जगह नहीं दिखती.

 

बीजेपी को 6 साल के लिए बाहर कर दिया गया

केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए 3 कृषि कानूनों के खिलाफ अनिल जोशी ने आवाज उठाई. जिसे बीजेपी ने पार्टी विरोधी करार दिया, उसे 6 साल के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से बर्खास्त कर दिया. जिसके बाद अनिल जोशी शिरोमणि अकाली दल में शामिल हो गए. माना जाता है कि जोशी की अमृतसर के हिंदू मतदाताओं पर पकड़ है, ऐसे में माझा सीटों पर अकाली दल को नुकसान हो सकता है.

 

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