पीयू के प्रोफेसरों ने देश का नाम किया रौशन, जीता ब्रेकथ्रू अवार्ड, विश्व के सबसे बड़े फिजिक्स लैब से हैं जुड़े – PU PROFESSOR WON BREAKTHROUGH AWARD

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पंजाब यूनिवर्सिटी के चार फैकल्टी मेंबर और छह रिटायर्ड प्रोफेसर को ऑस्कर ऑफ साइंस नाम की प्रसिद्ध ब्रेकथ्रू अवार्ड से नवाजा गया. इन सभी को बड़े सर्न में चल रहे महाप्रयोग में सहयोगी के तौर पर अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली है, इन्हें सामूहिक रूप से मौलिक भौतिकी में 2025 ब्रेकथ्रू पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

यह सम्मान साल 2015 से साल 2024 के बीच लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (एलएचसी) में की गई अभूतपूर्व खोजों के लिए दिया गया है. 30 लाख डॉलर का यह पुरस्कार सर्न के एलएचसी में चार प्रमुख प्रयोगों – एलिस, एटलस, सीएमएस और एलएचसीबी के लिए दिया गया है. पंजाब विश्वविद्यालय ने एलिस और सीएमएस सहयोग में अपनी भागीदारी के माध्यम से इस वैश्विक प्रयास में निरंतर योगदान दिया है.

इस बारे में पंजाब यूनिवर्सिटी के फिजिक्स डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ लोकेश कुमार से ईटीवी भारत ने बातचीत की. डॉ लोकेश कुमार ने कहा, “विश्व स्तर पर स्विट्जरलैंड की सर्न लैब में चार बड़े कोलैबोरेशन में 13508 फिजिक्स साइंटिस्ट काम करते हैं. यह सभी फिजिक्स साइंटिस्ट धरती की शुरुआत किस तरह हुई? इन विषयों पर साइंटिस्ट कम कर रहे हैं. इसमें देश-विदेश के साइंटिस्ट रिसर्च स्कॉलर्स और फैकल्टी मेंबर हिस्सा बने हुए हैं. इसी तर्ज पर पंजाब यूनिवर्सिटी के चार फैकल्टी मेंबर छह रिटायर्ड ऑफिसर्स और 20 स्कॉलर्स इस टीम का हिस्सा है. जिनमें से चार स्कॉलर्स बाकायदा स्विट्जरलैंड में जाकर वहां की जा रही रिसर्च में अपनी भूमिका निभा रहे हैं. इसके लिए उन्हें कुछ दिन स्विट्जरलैंड में बिताने पड़ते हैं.”

डॉ. लोकेश कुमार ने आगे बताया, “सर्न स्विट्जरलैंड और फ्रांस के बीच स्थित एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संचालित विज्ञान केंद्र है. इस जगह से साल 1989 में वर्ल्ड वाइड वेब का आविष्कार किया गया था. यहां एंटीमैटर की खोज की गई थी. जहां साल 2012 में गॉड पार्टिकल की पहचान की गई थी, जिसने वैज्ञानिकों के मॉडल को मान्य किया था. इसके साथ ही उप-परमाणु दुनिया कैसे काम करती है? यह बताया गया था. नतीजतन परमाणुओं और ब्रह्मांड के बारे में हम जो कुछ भी जानते हैं, वह सब इस लैब में भी ढूंढा गया है. सर्न का लैब लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर कण त्वरक का घर है, जो 16.8 मील का भूमिगत ट्रैक है, जहां दुनिया के सबसे प्रतिभाशाली दिमाग छोटे, तेज गति वाले कणों को आपस में टकराते हुए देखते हैं, ताकि वे धरती की निर्माण के समय हुए टकराव को समझ सके और उससे कुछ सीख सकें. सर्न के लिए विश्व का हर देश फंड देता है.”

स्विट्जरलैंड की सर्न लैब में चार प्रोजेक्ट्स पर काम किया जा रहा है. इन प्रोजेक्ट्स को कोलैबोरेशस का नाम दिया गया है. इन चारों का नाम एलाइंस, एटलस, सीएमएस और एलएचसीबी हैं. जहां फंडामेंटल फिजिक्स पर गहन खोज हो रही है. जिसके लिए उन्हें ब्रेकथ्रू प्राइज सर्न के लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर में चार कोलैबोरेशस को दिए गए हैं. एलएनएचसी विश्व का सबसे बड़ा शक्तिशाली पार्टिकल एक्सीलेटर है, जो प्रोटॉन्स को टकराने पर विवश करता है. उनकी इकलौती साइंटिस्ट मैटर के तत्वों की स्टडी करता है. यह हिंग्स बोसॉन, जिसे गॉड पार्टिकल कहा जाता है की स्टडी की जा रही है. इससे यह पता चल सकता है कि 1.37 करोड़ साल पहले बिग बैंग कैसे हुआ था?

ब्रेकथ्रू प्राइज मार्क जुकरबर्ग की ओर से दिया जाता है. इसे शुरू भी मार्क जुकरबर्ग ने ही किया था. वे विश्व के सभी साइंटिस्ट की ओर से की जा रही मेहनत और रिसर्च को सरहना चाहते थे, जिसके चलते उन्होंने साल 2013 में ब्रेकथ्रू प्रिंस की घोषणा की थी. इस प्राइस में साइंटिस्ट को सम्मानित किया जाता है. उनकी खोज को सराहा जाता है. ताकि उनके ही नक्शे कदम पर नए साइंटिस्ट जो मैथमेटिक्स, फिजिक्स ऑफ फंडामेंटल, साइंस और अन्य इस तरह की खोज में रुचि दिखा सके. इस बार का ब्रेकथ्रू प्राइज मार्क जुकरबर्ग के अलावा अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस, ओपन ए आई के फाउंडर सेम ऑल्टमैन की ओर से दिया गया है.

सर्न (सीईआरएन) लैब में फिजिक्स के चार कोलैबोरेटिव प्रोजेक्ट चल रहे हैं. जिनके लिए अलग-अलग टीम काम कर रही है. वहीं, पंजाब यूनिवर्सिटी के चार प्रोफेसर और 6 रिटायर्ड प्रोफेसर और 20 फिजिक्स स्कॉलर इस टीम का हिस्सा हैं. जिनकी ओर से अपनी नॉलेज और मेहनत को सर्न लैब के अन्य फिजिक्स एक्सपर्ट्स के साथ साझा करते हैं.

पिछले 15 सालों से स्विट्जरलैंड की सर्न लैब में पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर काम कर रहे हैं. उसी तर्ज पर मौजूदा 4 फैकल्टी मेंबर भी सर्न लैब का हिस्सा है. पंजाब यूनिवर्सिटी की वर्तमान और पूर्व दोनों फैकल्टी मेंबर्स इस बार के अवार्ड टीम का हिस्सा बनी है. पंजाब यूनिवर्सिटी में काम कर रहे फैकल्टी मेंबर लोकेश कुमार, प्रोफेसर विपिन भटनागर, डॉ सुशील चौहान और डॉ सुनील बंसल प्रोफेसर एमएम अग्रवाल, जे एम कोहली, एस बी बेरी, जेबी सिंह, मनजीत कौर टीम में शामिल हैं. ये भले ही टीचिंग से रिटायरमेंट ले चुके हैं, लेकिन वह मेगा साइंस एक्सपर्टीज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.

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