प्रधानमंत्री मोदी ने यमुनानगर में निभाई एक अनोखी प्रतिज्ञा, रामपाल कश्यप को पहनाए जूते

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प्रधानमंत्री मोदी ने यमुनानगर में निभाई एक अनोखी प्रतिज्ञा, रामपाल कश्यप को पहनाए जूते

 

रमेश गोयत

 

यमुनानगर (हरियाणा)14 अप्रैल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार यमुनानगर दौरे के दौरान एक बेहद भावुक और प्रेरणादायक पल साझा किया। उन्होंने कैथल निवासी रामपाल कश्यप से मुलाकात की, जिन्होंने 14 वर्ष पहले यह व्रत लिया था कि जब तक नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री नहीं बनते और वह स्वयं उनसे मुलाकात नहीं कर लेते, तब तक वे जूते नहीं पहनेंगे।

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को हरियाणा के हिसार और यमुनानगर के दौरे पर थे, जहां उन्होंने हिसार एयरपोर्ट का उद्घाटन किया और यमुनानगर में थर्मल पावर की तीसरी इकाई का शिलान्यास किया। इस दौरान, हिसार के महाराजा अग्रसेन हवाई अड्डे से पहली उड़ान अयोध्या के लिए रवाना हुई, जिसे पीएम मोदी ने हरी झंडी दिखाई।

 

यमुनानगर में एक खास पल हुआ, जब पीएम मोदी ने कैथल जिले के निवासी रामपाल कश्यप को खुद जूते पहनाए। इस अवसर पर पीएम मोदी ने कश्यप से मुलाकात की और उन्हें जूते पहनाते हुए उनके 14 साल पुरानी प्रतिज्ञा की सराहना की।

 

रामपाल कश्यप ने 14 साल पहले संकल्प लिया था कि वह तब तक जूते नहीं पहनेंगे जब तक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं बन जाते और वह उनसे मिल नहीं लेते। इसके बाद से वह हर मौसम में नंगे पांव चलते रहे। आज, पीएम मोदी ने उनकी यह प्रतिज्ञा पूरी की और उन्हें जूते पहनाए।

पीएम मोदी ने इस मौके पर रामपाल कश्यप से पूछा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया और उन्हें सलाह दी कि भविष्य में इस तरह के प्रण लेने की बजाय किसी सामाजिक या देशहित के कार्य का संकल्प लें। पीएम मोदी ने इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर करते हुए लिखा, “मैं ऐसे सभी साथियों की भावनाओं का सम्मान करता हूं, परंतु मेरा आग्रह है कि वे किसी सामाजिक अथवा देशहित के कार्य का प्रण लें।”

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर इस मुलाकात की जानकारी साझा करते हुए लिखा, “हरियाणा के यमुनानगर में आज कैथल के रामपाल कश्यप से मिलने का सौभाग्य मिला। इन्होंने 14 वर्ष पहले एक व्रत लिया था कि ‘मोदी जब तक प्रधानमंत्री नहीं बन जाते और मैं उनसे मिल नहीं लेता, तब तक जूते नहीं पहनूंगा।’ मुझे आज उनको जूते पहनाने का अवसर मिला।”

प्रधानमंत्री ने आगे लिखा, “मैं ऐसे सभी साथियों की भावनाओं का सम्मान करता हूं, परंतु मेरा आग्रह है कि वो इस तरह के प्रण लेने के बजाए किसी सामाजिक अथवा देशहित के कार्य का प्रण लें।”

यह मुलाकात जहां रामपाल कश्यप के लिए वर्षों की तपस्या के समान रही, वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने इसे एक प्रेरणादायक उदाहरण के रूप में सामने लाया, जिससे लोग अपने संकल्पों को समाज और राष्ट्र की सेवा से जोड़ सकें।

यह घटना सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है और प्रधानमंत्री की विनम्रता और संवेदनशीलता की एक और मिसाल बन गई है।

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