राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की पुर्तगाल यात्रा संपन्न, अगले पड़ाव में पहुंचेंगी स्लोवाकिया – PRESIDENT MURMU VISIT

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पुर्तगाल और स्लोवाकिया की अपनी चार दिवसीय राजकीय यात्रा के तहत मंगलवार को वियना पहुंचीं. पुर्तगाल में अपनी चार दिवसीय राजकीय यात्रा के पहले चरण के बाद राष्ट्रपति मुर्मू ऑस्ट्रिया की राजधानी पहुंचीं. वहां से वे अपनी राजकीय यात्रा के दूसरे चरण के लिए स्लोवाक गणराज्य की ओर रवाना होंगी.

राष्ट्रपति मुर्मू स्लोवाक राष्ट्रपति पीटर पेलेग्रिनी के निमंत्रण पर 9 से 10 अप्रैल तक स्लोवाकिया की यात्रा करेंगी. यह 29 वर्षों में किसी भारतीय राष्ट्रपति की स्लोवाकिया की पहली यात्रा होगी. इससे पहले राष्ट्रपति मुर्मू ने राष्ट्रपति मार्सेलो रेबेलो डी सूसा के निमंत्रण पर पुर्तगाल का दौरा किया था. यह यात्रा 27 साल के अंतराल के बाद हुई. पिछली राजकीय यात्रा 1998 में हुई थी, जब राष्ट्रपति के आर नारायणन पुर्तगाल आए थे.

विदेश मंत्रालय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘पुर्तगाल की एक सफल राजकीय यात्रा संपन्न हुई. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने दौरे के अगले चरण, स्लोवाकिया के लिए रवाना हुईं.’ पुर्तगाल की अपनी यात्रा के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पुर्तगाली संसद में एक औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया, जहां असेम्बलिया दा रिपब्लिका के राष्ट्रपति, जोस पेड्रो एगुइर-ब्रैंको ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया.’

पुर्तगाली विधानमंडल की अपनी यात्रा के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने पुर्तगाली प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की. असेंब्लिया दा रिपब्लिका के राष्ट्रपति के मंत्रिमंडल के साथ बैठक की. द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने के लिए दोनों देशों के बीच साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की. 7 अप्रैल को राष्ट्रपति मुर्मू को सिटी हॉल में आयोजित एक समारोह में लिस्बन के मेयर द्वारा प्रतिष्ठित ‘सिटी की ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया गया.

राष्ट्रपति मुर्मू पुर्तगाल के राष्ट्रपति मार्सेलो रेबेलो डी सूसा द्वारा उनके सम्मान में आयोजित भोज में भी शामिल हुईं. यह भोज सोमवार शाम को लिस्बन के पलासियो दा अजुदा में आयोजित किया गया. राष्ट्रपति मुर्मू ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह वर्ष विशेष महत्व रखता है. दोनों देश भारत-पुर्तगाल द्विपक्षीय संबंधों के 50 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं.

अपने संबोधन में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग की स्वाभाविक तालमेल और क्षमता के साथ भारत-पुर्तगाल के ऐतिहासिक संबंध एक गतिशील और दूरदर्शी साझेदारी के रूप में विकसित होने की राह पर हैं.

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