हर घंटे 100 लोगों की जान ले रहा है अकेलापन, जानिए यह खतरनाक बीमारी कैसे धीरे-धीरे लोगों को बना रही है अपना शिकार और इसके पीछे क्या हैं मुख्य कारण।

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मॉडर्न दौर में लाइफस्टाइल हद से ज्यादा बदल चुकी है. कई जगह हालात ऐसे हैं कि लोग अकेले रहने को मजबूर हैं, लेकिन यही अकेलापन अब लोगों की सांसें छीन रहा है. यह खुलासा हुआ है डब्ल्यूएचओ की हालिया रिपोर्ट फ्रॉम लोनलीनेस टू सोशल कनेक्शन में, जिसमें बताया गया है कि अकेलेपन के कारण दुनिया में हर घंटे 100 लोगों की मौत हो रही है. यह कितना खतरनाक है और क्या है इससे बचने का तरीका, आइए जानते हैं?

अकेलेपन से क्या पड़ता है फर्क?

डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट के मुताबिक, अकेलेपन का असर न सिर्फ मेंटल हेल्थ पर पड़ता है, बल्कि इससे फिजिकल हेल्थ भी बुरी तरह प्रभावित होती है. इसकी वजह से हार्ट डिजीज, डायबिटीज, स्ट्रोक और असमय मौत का खतरा बढ़ जाता है. नई रिसर्च के मुताबिक, कोविड-19 महामारी के बाद यह समस्या ज्यादा गंभीर हो गई है. युवा और शहरों में रहने वाले लोग इसकी चपेट में ज्यादा आ रहे हैं.

कितना खतरनाक है अकेलापन?

जर्नल ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक, कोरोना महामारी के दौरान भारत में मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स काफी तेजी से बढ़ी हैं. शहरी इलाकों में यह यह आंकड़ा ज्यादा चिंताजनक है, जहां 22% लोग अकेलेपन का अनुभव कर रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, 16-24 आयु वर्ग के 40% युवा अकेलापन महसूस करते हैं, जो 65-74 साल आयु वर्ग के 29 पर्सेंट बुजुर्गों की तुलना में कहीं ज्यादा है. इसके अलावा आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में भी जिक्र है कि मानसिक स्वास्थ्य समस्या, जिनमें अकेलापन शामिल है, 2012-2030 के बीच भारत को 1.03 ट्रिलियन डॉलर की आर्थिक नुकसान पहुंचा सकता है.

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