चंडीगढ़ में शराब पर बंपर छूट, 1 से 3 अप्रैल तक बंद रहेंगे ठेके, नई टेंडर प्रक्रिया पर विवाद

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 चंडीगढ़ में शराब के मौजूदा ठेकों का लाइसेंस 31 मार्च को खत्म हो जाएगा. इसके चलते सभी शराब के ठेकेदार अपना पुराना स्टॉक निकालकर नुकसान से बचने के लिए शराब पर भारी छूट दे रहे हैं. शराब के विभिन्न ब्रांड हो या फिर बीयर सभी सस्ते रेट पर उपलब्ध हैं. यही कारण है कि इन दिनों अधिकांश सेक्टरों में शराब के ठेकों के बाहर शराब के शौकीनों की लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई हैं. सभी लोग अपनी पसंदीदा विभिन्न ब्रांड्स की शराब की बोतलें और भरी पेटियां तक साथ ले जा रहे हैं.

3 अप्रैल तक यथास्थिति बनाने के आदेश: चंडीगढ़ में 2025-26 के लिए शराब की दुकानों की टेंडर प्रक्रिया पर विवाद छिड़ा है. पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने टेंडर प्रक्रिया को चुनौती देने वाली तीन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए चंडीगढ़ प्रशासन और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है. साथ ही 3 अप्रैल तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश भी दिया है. इससे नई दुकानों का आवंटन फिलहाल प्रभावित नहीं होगा. इसका सीधा असर शराब की बिक्री पर पड़ेगा, क्योंकि मौजूदा शराब ठेकों का लाइसेंस 31 मार्च को खत्म हो जाएगा और नए ठेके 1 अप्रैल से शुरू नहीं हो पाएंगे.

10 से अधिक शराब की दुकानों के आवंटन का प्रावधान नहीं: इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस विकास सूरी की पीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी एक ही इकाई को 10 से अधिक शराब की दुकानों का आवंटन करना प्रतिस्पर्धा अधिनियम के प्रावधान के खिलाफ है. ये अधिनियम निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा देने और उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए बनाया गया था.

टेंडर प्रक्रिया में सिद्धांत का उल्लंघन: एसएस चंदेल व अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि टेंडर प्रक्रिया में इस सिद्धांत का उल्लंघन किया गया. इस टेंडर के तहत 97 में से 87 से अधिक दुकानें केवल दो या तीन व्यक्तियों को ही दी गई हैं, जो विभिन्न फार्मो, रिश्तेदारों और सहयोगियों के नाम से बोली लग रहे थे.

 

टेंडर प्रक्रिया निर्धारित नियमों के खिलाफ: याचिका में आरोप लगाया गया है कि टेंडर प्रक्रिया पूरी तरह से त्रुटि पूर्ण और निर्धारित नियमों के खिलाफ आयोजित की गई थी. यहां तक की टेंडर आमंत्रण नोटिस को भी चुनौती दी गई है. कहा गया है कि ये आबकारी नीति 2025-26 और पंजाब शराब लाइसेंस (चंडीगढ़ संशोधन) नियम 2020 का उल्लंघन है. याची ने कहा कि नीति के तहत किसी भी व्यक्ति, फर्म या कंपनी को 10 से अधिक दुकानें हासिल करने की छूट नहीं थी, ताकि एकाधिकार को रोका जा सके.

यूटी प्रशासन ने इस प्रावधान को नजरअंदाज कर कुछ व्यक्तियों को अपने परिवार, सहयोगी और कर्मचारियों के माध्यम से दुकानें हासिल करने दी. इससे शराब व्यापार पर उनका असामान्य नियंत्रण हो गया. याचिकाकर्ताओं के अनुसार टेंडर प्रक्रिया निष्पक्ष तरीके से नहीं की गई. नतीजतन कुछ गिने-चुने लोगों को ही बोली लगाने का अवसर मिला, जबकि अन्य इच्छुक प्रतिभागियों के अधिकारों का हनन हुआ.

3 अप्रैल को सुनवाई करेगा हाई कोर्ट: चंडीगढ़ में शराब की मौजूदा दुकानें 31 मार्च तक संचालित रहेगी, लेकिन नई टेंडर प्रक्रिया लागू नहीं होगी. हाई कोर्ट मामले की अगली सुनवाई 3 अप्रैल को करेगा, जिसके बाद तय हो सकेगा कि टेंडर प्रक्रिया को रद्द किया जाएगा या नहीं और शराब के ठेकों के बंद रहने की समय सीमा क्या रहेगी.

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