ED का बड़ा एक्शन: RJD नेता आलोक मेहता के 19 ठिकानों पर रेड, 85 करोड़ के लोन फ्रॉड मामले में कसा शिकंजा

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बिहार के पूर्व मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता आलोक मेहता के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार(10 जनवरी) को छापेमारी की। ईडी की टीम बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली के करीब 19 ठिकानों परपर एक साथ छापेमारी कर रही है।यह कार्रवाई वैशाली शहरी विकास सहकारी बैंक में 85 करोड़ रुपए के लोन फ्रॉड मामले में की जा रही है। यह मामला फर्जी लोन खातों, नकली दस्तावेजों और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है। छापे में बड़ी संख्या में दस्तावेजों की जांच की जा रही है।

आलोक मेहता पर आरोप है कि उन्होंने बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर लगभग 400 फर्जी लोन खाेला। इन खातों के आधार पर नकली और जाली वेयरहाउस और एलआईसी रिसीट्स का इस्तेमाल करते हुए फंड गलत तरीके से बांटा गया। इसके अलावा, इस धोखाधड़ी के पैसों को मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए छिपाने और गबन करने का आरोप भी लगाया गया है। इस मामले में कई बड़े अफसरों के फंसने की भी संभावना है।

ईडी ने बिहार के पटना और हाजीपुर में आलोक मेहता के सरकारी और निजी आवासों पर भी छापेमारी की। इसके अलावा, पश्चिम बंगाल के कोलकाता, उत्तर प्रदेश के वाराणसी और दिल्ली में भी जांच चल रही है। सभी ठिकानों पर एक साथ कार्रवाई करते हुए आरोपियों के खिलाफ सबूत जुटाए जा रहे हैं। ईडी की टीम अब इन जगहों से मिले दस्तावेजों और सबूतों की जांच कर रही है। ऐसे में संभव है कि इस मामले में जल्द ही बड़ी गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

ईडी के छापे के बाद बिहार में हड़कंप मच गया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी नेता आलोक मेहता के ठिकानों पर छापेमारी को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। राजद के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच इस छापेमारी को लेकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। आरजेडी के नेताओं ने जहां इस एक्शन के लिए केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए सरकार की साजिश करार दिया है। वहीं बिहार के जेडीयू और बीजेपी नेताओं ने आरजेडी पर तंज कसा है।

जेडीयू प्रवक्ता और एमएलसी नीरज कुमार ने आलोक मेहता के ठिकानों पर ईडी के रेड को लेकर आरजेडी पर तंज कसा। नीरज कुमार ने कहा कि यह दरअसल लालू यादव और तेजस्वी यादव की संगत का असर है। आलोक मेहता पर ईडी का शिकंजा कसा जाना इस बात सबूत है कि महागठबंधन के नेताओं के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय सक्रिय हो रही है।

आरजेडी के प्रवक्ता ने शिवानंद तिवारी ने कहा कि आलोक मेहता के खिलाफ यह कार्रवाई राजनीतिक बदले की वजह से की गई है। यह एक राजनीतिक साजिश है। तिवारी ने कहा कि केंद्र और राज्य की सत्तारूढ़ पार्टियां विरोधी नेताओं को निशाना बनाने की कोशिश कर रही है। आलोक मेहता की गिनती बिहार के कद्दावर नेताओं में होती है। मेहता राष्ट्रीय जनता दल के बड़े नेताओं में से एक माने जाते हैं। आलोक मेहता को लालू यादव के करीबी सहयोगी माना जाता है। आलोक मेहता के पिता तुलसी प्रसाद मेहता भी लालू यादव की सरकार में मंत्री रह चुके थे। आलोक मेहता ने महागठबंधन सरकार में कई अहम विभागों के मंत्री के तौर पर सेवाएं दे चुके हैं। आलोक मेहता राजस्व और भूमि सुधार विभाग की कमान संभाल चुके हैं। आलोक मेहता समस्तीपुर के उजियारपुर सीट से विधायक भी रहे हैं।

ईडी की जांच वैशाली शहरी विकास सहकारी बैंक से जुड़ी हुई है, जहां 85 करोड़ रुपये के घोटाले की खबर सामने आई थी। इस बैंक में लोन के नाम पर बड़ी धोखाधड़ी की गई थी। जांच में यह बात सामने आई कि यहां फर्जी लोन खातों और नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके बैंक से फंड निकाले गए थे। ईडी की जांच में यह मामला अब भ्रष्टाचार के एक बड़े मामले में बदल चुका है। इसमें बैंक अफसरों और बड़े व्यायापारियों की संलिप्तता भी सामने आ रही है। आरोप है कि इन लोगों ने मिलकर सरकारी रुपए का गबन किया। इसके बाद मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए सारा पैसा इधर-उधर कर दिया।

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