PGI चंडीगढ़ में कैमिस्ट पर MRP से 50% ज्यादा वसूली: एक ही दवा पर अलग-अलग कीमतें; मेडिकल टेक्नॉलॉजिस्ट एसोसिएशन ने CBI जांच की मांग की

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PGI चंडीगढ़ के अंदर चल रही कुछ प्राइवेट कैमिस्ट दुकानों पर फिर सवाल उठे हैं। आरोप है कि वहां दवाएं मरीजों को MRP से 50% ज्यादा कीमत पर बेची जा रही हैं। इतना ही नहीं, दुकानदार छूट का झांसा देकर दवाओं की असली कीमत ही जानबूझकर बढ़ा रहे हैं, ताकि ज्यादा पैसा वसूला जा सके।

 

ये गंभीर आरोप मेडिकल टेक्नॉलॉजिस्ट एसोसिएशन ने लगाए हैं। एसोसिएशन के अश्वनी मुंजाल ने इस मामले की सीबीआई और सेंट्रल विजिलेंस से निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह गरीब और जरूरतमंद मरीजों के साथ सीधी लूट है और इससे PGI जैसे प्रतिष्ठित अस्पताल की छवि खराब हो रही है।

 

PGI प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लिया है और आरोपियों को नोटिस भेजने की तैयारी की जा रही है। प्रशासन का कहना है कि अगर दुकानदारों का जवाब संतोषजनक नहीं हुआ, तो जांच कमेटी बनाई जाएगी और सख्त कार्रवाई होगी। अधिकारियों ने साफ किया कि PGI के अंदर किसी को भी मरीजों को ठगने की छूट नहीं दी जाएगी।

 

 

2 समान दवाओं पर अलग-अलग एमआरपी

 

पीजीआई मेडिकल टेक्नॉलॉजिस्ट एसोसिएशन (PGIMTA) ने अपनी शिकायत में बताया है कि एक ही दवा पर दो अलग-अलग दुकानों में अलग-अलग एम.आर.पी. लिखी गई है- 300 और 450 रुपये। जबकि दोनों दवाओं का बैच नंबर, निर्माण तिथि और निर्माता कंपनी एक जैसी है। इससे स्पष्ट होता है कि जानबूझकर एमआरपी में अंतर दिखाकर मरीजों से अधिक पैसे वसूले गए हैं।

 

एसोसिएशन के महासचिव अश्वनी मुंजाल ने आरोप लगाया कि कैमिस्ट और पीजीआई प्रशासन की मिलीभगत से मरीजों को लूटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि पीजीआई परिसर में कैमिस्ट शॉप्स को 30 से 70 लाख रुपए मासिक किराए पर दिया जाता है, जिससे दुकानदार अपने घाटे की भरपाई करने के लिए एम.आर.पी. में हेराफेरी कर रहे हैं।

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