पंजाब को आमंत्रित किया गया तो चार मई की वार्ता का बहिष्कार करेंगे: जगजीत सिंह डल्लेवाल

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किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने रविवार को कहा कि अगर केंद्र सरकार पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों को आमंत्रित करती है तो किसान चार मई को केंद्र के साथ होने वाली वार्ता का बहिष्कार करने के लिए मजबूर हो जाएंगे। इससे पूर्व, पंजाब सरकार ने अपने दो सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले आंदोलनकारियों को हटा दिया था। किसानों को इस सप्ताह की शुरुआत में केंद्र से बातचीत के लिए औपचारिक निमंत्रण मिला था। डल्लेवाल ने एक वीडियो संदेश में कहा, हमें केंद्रीय कृषि मंत्रालय से एक पत्र मिला है जिसमें हमें चार मई की बैठक के लिए आमंत्रित किया गया है। पत्र में उल्लेख किया गया है कि केंद्र के साथ-साथ पंजाब सरकार के प्रतिनिधि भी बैठक में मौजूद रहेंगे। डल्लेवाल संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के संयुक्त मंच के वरिष्ठ नेता हैं। इन दोनों संगठनों ने शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर आंदोलन का नेतृत्व किया। एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम ने रविवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र भी लिखा, जिसमें उनसे चंडीगढ़ में होने वाली बैठक में पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों को न बुलाने का आग्रह किया गया।

पंजाब पुलिस ने 19 मार्च को किसानों पर कार्रवाई की और उनके नेताओं को मोहाली में हिरासत में ले लिया, जब वे चंडीगढ़ में चौहान के नेतृत्व में एक केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक से लौट रहे थे। बाद में हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा कर दिया गया। पिछले महीने पंजाब पुलिस ने शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं से किसानों और अस्थायी ढांचों को हटा दिया, जहां वे एक साल से अधिक समय से बैठे थे। डल्लेवाल ने कहा, हम समझते हैं कि किसी भी मुद्दे का समाधान बातचीत के जरिए निकाला जा सकता है। हमने हमेशा बातचीत का समर्थन किया है…लेकिन जिस तरह से पंजाब के अधिकारियों ने किसान नेताओं को गिरफ्तार किया और हमें मोर्चों से बाहर निकाला, उससे देश भर के किसान नाराज हैं। उन्होंने कहा, हम केंद्र से बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों को चार मई की बैठक के लिए आमंत्रित नहीं किया जाना चाहिए। अगर वे फिर भी उन्हें आमंत्रित करते हैं, तो हम उस बैठक का बहिष्कार करने के लिए मजबूर होंगे…हम इस संबंध में केंद्र के जवाब का इंतजार करेंगे।

डल्लेवाल ने पिछले साल 26 नवंबर को फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समेत किसानों की मांगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने को लेकर भूख हड़ताल शुरू की थी। पंजाब पुलिस द्वारा आंदोलनकारी किसानों पर कार्रवाई करने के एक पखवाड़े से अधिक समय बाद उन्होंने अपना आमरण अनशन समाप्त कर दिया। चौहान को लिखे अपने पत्र में, दोनों किसान संगठनों ने बातचीत के माध्यम से शांति की वकालत की। पत्र में कहा गया है, हमारी पिछली बैठक 19 मार्च को चंडीगढ़ में सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई थी, जिसके अंत में अगली बैठक चार मई को तय की गई थी, लेकिन 19 मार्च की बैठक समाप्त होने के बाद पंजाब सरकार ने धोखे से किसान नेताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया तथा शंभू और खनौरी में किसान मोर्चों को दबाने की कोशिश की। इसमें कहा गया, ऐसा करके पंजाब सरकार ने किसानों के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाकर उनका अपमान किया है, जिससे देशभर के किसान नाराज हैं। बैठक में चौहान के अलावा उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल हुए। पंजाब सरकार का प्रतिनिधित्व वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा, कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री लाल चंद कटारूचक ने किया। पिछले साल फरवरी से केंद्र सरकार के साथ यह सातवें दौर की बैठक थी।

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