हरियाणा में बड़ा फर्जीवाड़ा, सरकारी नौकरी पाने के लिए खिलाड़ी बनवा रहे थे फर्जी ग्रेडेशन सर्टिफिकेट; अब हुआ एक्शन

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हरियाणा में सरकारी नौकरियां प्राप्त करने के लिए जाली खेल प्रमाण पत्र बनवाने का गोरखधंधा पिछले काफी समय से चल रहा है। राज्य सरकार के पास पहुंची शिकायतों के बाद खेल महानिदेशक संजीव वर्मा ने जांच कराई तो 76 खेल ग्रेडेशन सर्टिफिकेट संदिग्ध निकले। खेल निदेशालय की ग्रेडेशन वैरीफिकेशन कमेटी ने इन खेल प्रमाण पत्रों को संदिग्ध मानते हुए रद्द करने की सिफारिश की है।

खेल महानिदेशक की रिपोर्ट के आधार पर प्रधान सचिव नवदीप सिंह विर्क ने सभी खेल उप निदेशकों को इन संदिग्ध खिलाड़ियों की सूची भेजकर खिलाड़ियों का पक्ष जानने तथा उसके आधार पर इन प्रमाण पत्रों को रद्द करने की कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।

आश्चर्यजनक बात यह है कि जिन खेल उप निदेशकों को ग्रेड सी और ग्रेड डी के इन प्रमाण पत्रों को रद्द करने की कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं, उन्हीं के कार्यालयों की ओर से यह सर्टिफिकेट जारी किए गए थे। खेल विभाग ने इन खेल उपनिदेशकों की अभी तक कोई जवाबदेही तय नहीं की है।

इन खेल प्रमाण पत्रों के आधार पर खेल कोटे से सरकारी नौकरियां प्राप्त की जाती रही हैं। खेल उप निदेशक मंजीत सिंह की ओर से अंबाला, रोहतक, गुरुग्राम तथा हिसार के खेल उप निदेशकों को संदिग्ध सर्टिफिकेट वाले 76 खिलाड़ियों की सूची भेजते हुए कहा गया है कि उनके कार्यालयों की ओर से जारी ग्रेडेशन सर्टिफिकेट की निदेशालय में गठित ग्रेडेशन वैरीफिकेशन कमेटी ने जांच की।

जांच में इन प्रमाण पत्रों को नियमों के विरुद्ध पाया गया है। यह सभी सर्टिफेकेट साल 2018 से 2022 के बीच जारी हुए हैं। इन सभी खिलाड़ियों को अपनी बात रखने का एक मौका देते हुए उनके जवाब के आधार पर खेल प्रमाण पत्रों को रद्द करने की कार्रवाई तुरंत प्रभाव से अमल में लाई जाए।

खेल कोटे से खिलाड़ियों को मिलती है सरकारी नौकरी

हरियाणा सरकार ने खेल कोटे के तहत खिलाड़ियों को सरकारी नौकरियां प्रदान करने की नीति बना रखी है। इस पॉलिसी में समय-समय पर राज्य सरकारें अपनी सुविधा अनुसार बदलाव करती रही हैं। विभिन्न प्रकार के खेलों में भागीदारी व मेडल हासिल करने के आधार पर खिलाड़ियों के ग्रेडेशन सर्टिफिकेट दिए जाते हैं।

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार कई विभागों में खेल कोटे के तहत दी जाने वाली नौकरियों को बहाल कर चुकी है। खेल विभाग में सीधे डिप्टी डायरेक्टर नियुक्त करने की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार में हुई थी।

हुड्डा सरकार ने की थी पुलिस में सीधे भर्ती की शुरुआत

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने ओलिंपिक, कॉमनवेल्थ व एशियाई खेलों के विजेताओं को पुलिस में सीधे डीएसपी, इंस्पेक्टर और सब-इंस्पेक्टर लगाने की शुरुआत की थी। मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल में इस पॉलिसी में संशोधन कर पदक विजेता खिलाड़ियों को एचपीएस के अलावा एचसीएस लगाने का भी निर्णय लिया गया था।

बाद में मनोहर पार्ट-टू सरकार में पार्ट-वन सरकार के फैसले को बदल दिया गया था। तब खेल विभाग में ही डिप्टी डायरेक्टर के नए पद सृजित किए गए थे। अब मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कई विभागों में खेल कोटे की नौकरियां बहाल कर दी हैं। जिन खिलाड़ियों के प्रमाण पत्र रद्द होंगे, उन्हें अब हरियाणा की 25 मई 2018 को अधिसूचित संशोधित खेल नीति के अनुसार अपना प्रमाण पत्र बनवाना होगा।

27 खिलाड़ियों के पास ग्रेड-सी के फर्जी सर्टिफिकेट

खेल उपनिदेशकों के अलावा खेल विभाग की ओर से 15 जिलों के जिला खेल अधिकारियों को भी इन संदिग्ध प्रमाण पत्रों वाले खिलाड़ियों की सूची भेजी गई है।

इन जिलों में भिवानी, चरखी दादरी, फरीदाबाद, फतेहाबाद, हिसार, झज्जर, जींद, कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, नारनौल, पलवल, पानीपत, रोहतक व सोनीपत शामिल हैं। जिन 76 खिलाड़ियों के ग्रेडेशन सर्टिफिकेट पर सवाल उठाए गए हैं, उनमें 27 खिलाड़ियाें के पास ‘ग्रेड-सी’ के सर्टिफिकेट हैं और बाकी के पास ‘ग्रेड-डी’ के सर्टिफिकेट हैं।

किस जिले के कितने खिलाड़ियों के सर्टिफिकेट संदिग्ध?

  • भिवानी- 21
  • फरीदाबाद- 02
  • फतेहाबाद- 02
  • हिसार- 09
  • झज्जर- 01
  • जींद- 07
  • कैथल- 03
  • करनाल- 03
  • कुरुक्षेत्र- 05
  • महेंद्रगढ़- 03
  • पलवल- 02
  • पानीपत- 02
  • रोहतक- 05
  • सोनीपत- 10
  • रोहतक- 01
  • दादरी- 01

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