पंजाब के प्राइवेट बस ऑपरेटरों ने मुख्यमंत्री से मांगी टैक्स में राहत

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पंजाब में डीजल सबसे महंगा, बस किराया बढ़ाने की मांग

पंजाब के प्राइवेट पैसेंजर बस इंडस्ट्री को बचाने के लिए सीएम से अपील
कहा, सवा लाख परिवारों की रोजी-रोटी खतरे में है

मांगें पूरी नहीं होने पर आंदोलन करेंगे प्राइवेट बस ऑपरेटर

रागा न्यूज़, चंड़ीगढ़–  पंजाब मोटर यूनियन (पीएमयू) ने पंजाब सरकार और मुख्यमंत्री भगवंत मान से अपील की है कि उनको टैक्सों से राहत दी जाए। यूनियन का कहना है कि पंजाब में डीजल सबसे महंगा है और फ्री सवारियों के चलते उनके लिए अपना खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। ऐसे पंजाब में प्राइवेट बस ऑपरेटर्स को सरकार ने राहत नहीं दे तो वे आंदोलन की राह पर जाने के लिए मजबूर हो सकते हैं।

 

इन्वेस्ट पंजाब समिट से पहले पंजाब मोटर यूनियन (पीएमयू), जो निजी बस ऑपरेटरों की एक यूनियन है, जो पंजाब में “ऑडर्नरी बसेज” श्रेणी के तहत लगभग 2000 बसें चलाती है, ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से आग्रह किया है कि वे इस समय गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं और सरकार उनको इस संकट से उबारें। बस ऑपरेटरों के बढ़ते घाटे को पीएमयू की अधिकार प्राप्त सब-कमेटी के वरिष्ठ सदस्यों ने राज्य सरकार के साथ प्राइवेट बस इंडस्ट्री के मुद्दों को उठाने के लिए हरी झंडी दिखाई। पीएमयू के सदस्यों ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं की मुफ्त यात्रा, प्रति किलोमीटर पर सर्वाधिक करों का बोझ और बस किराए में करीब करीब जीरो बढ़ोतरी ने उनको काफी अधिक नुकसान पहुंचाया है और वे इस समय पूरी तरह से बर्बाद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। इन सभी कारणों से प्राइवेट बस ऑपरेटरों को भारी नुकसान हो रहा है, जिससे इंडस्ट्री पर निर्भर करीब सवा लाख परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट मंडराने लगा है।

इस बारे में पीएमयू के सेक्रेटरी आरएस बाजवा ने कहा कि “राज्य सरकार 23-24 फरवरी को इन्वेस्ट पंजाब समिट के माध्यम से निवेश आकर्षित करने की इच्छुक है, लेकिन नए निवेश के लिए कॉल करने से पहले घरेलू निवेशकों, विशेष रूप से पंजाब के अपने स्वदेशी प्राइवेट पैसेंजर बस इंडस्ट्री पर ध्यान देने की आवश्यकता है।”

 

पीएमयू सदस्यों ने कहा कि पिछली सरकार ने मुफ्त महिलाओं की यात्रा का एक अदूरदर्शी निर्णय लिया जिसने ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री को बर्बाद कर दिया है। बाजवा ने कहा कि “जब कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने पंजाब रोडवेज और पीआरटीसी दोनों बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा की सुविधा देने का फैसला किया था। नतीजतन, हमारे लगभग 40 प्रतिशत यात्री-मुख्य रूप से महिलाएं, पंजाब रोडवेज और पीआरटीसी की बसों में चले गए, जिससे हम अधर में लटक गए।”

 

उन्होंने कहा कि “पूर्व मुख्यमंत्री ने महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा सुविधा के प्रभाव को दूर करने के लिए हमारे पर करों के बोझ को कम करने का वादा किया था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। अब सीएम भगवंत मान के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार को फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए और हमारे लिए उचित मुआवजे की घोषणा करनी चाहिए।”

 

पीएमयू की अधिकार प्राप्त सब-कमेटी के सदस्य शुभकरमन बराड़ ने कहा कि “निजी ऑपरेटरों पर प्रति किलोमीटर कर का बोझ 2.69 रुपये था और चीजों को बदतर बनाने के लिए इस पर 10 प्रतिशत सामाजिक सुरक्षा उपकर (सोशल सिक्योरिटी सेस) भी लगाया गया है। नतीजा यह है कि प्रति किमी कर का बोझ अब 2.96 रुपये हो गया है। एक अन्य कड़े कदम के तहत कुछ दिन पहले डीजल पर 90 पैसे प्रति लीटर सेस भी लगाया गया है। जिससे उनके लिए रोजमर्रा का खर्च निकालना भी मुश्किल हो गया है।

 

बराड़ ने कहा कि “हमारी मांग है कि अगर हमारी इंडस्ट्री को बचाना है तो प्रति किलोमीटर कर का बोझ घटाकर एक रुपये किया जाए।”

 

पीएमयू की अधिकार प्राप्त सब-कमेटी के एक अन्य सदस्य संदीप शर्मा ने कहा कि “पंजाब सरकार की 2013 की जारी अधिसूचना को ध्यान में रखते हुए कर में कटौती के अलावा बस का किराया भी प्रति वर्ष 3 प्रतिशत बढ़ाया जाना चाहिए। डीजल की कीमत-जिसकी कीमत पंजाब में अन्य राज्यों की तुलना में काफी अधिक है, लेकिन किराए में वृद्धि मामूली या शून्य भी रही है। पिछले तीन वर्षों से बसों के किराए में कोई वृद्धि नहीं की गई है।”

 

पीएमयू सदस्यों ने पंजाब के मुख्यमंत्री से फर्स्ट स्टेज के टिकट की कीमत बढ़ाकर 20 रुपये करने की भी मांग की जो कि वर्तमान में सिर्फ 10 रुपये है। फर्स्ट स्टेज के टिकट की कीमत बस टिकट का न्यूनतम आधार मूल्य है।

 

अधिकार प्राप्त समिति के सदस्य अजीत सिंह खटड़ा ने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक लगभग 30 ऑपरेटरों ने पहले ही अपनी बसों का संचालन बंद कर दिया है।”

 

खटड़ा ने कह कि “हम चाहते हैं कि राज्य सरकार 4 दिनों के मौजूदा नियम के मुकाबले हर महीने 8 दिनों की करों से छूट दे, जब हमारी बसें रखरखाव के काम के कारण काफी कम दिन ही चल पा रही हैं।”

 

पीएमयू की अधिकार प्राप्त सब-कमेटी के एक अन्य सदस्य इकबाल सिंह ने बताया कि “पीआरटीसी और पंजाब रोडवेज को सब्सिडी समर्थन के बावजूद ये अभी भी जर्जर स्थिति में हैं और कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करना भी इनके लिए एक चुनौती बन गया है। राज्य सरकार को वास्तव में निजी बस ऑपरेटरों को रिवाइव करने के लिए सब्सिडी का लाभ देना चाहिए।”

 

बरनाला के पास भदौड़ में बसों की बॉडी बनाने वाली वर्कशॉप को कोई नया ऑर्डर नहीं मिल रहा है और वहां पर भी काम बंद होने का भी खतरा महसूस हो रहा है।

 

पीएमयू ने पहले ही प्रमुख सरकारी पदाधिकारियों को कई ज्ञापन दिए हैं और अब यूनियन के एक प्रतिनिधिमंडल को मिलने का समय प्रदान करने के लिए सीएम से जोरदार अपील की है। अगर उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया तो वे भी आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।

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