डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि, केदारनाथ धाम में लगातार भारी बर्फबारी को देखते हुए केदारनाथ यात्रा बुधवार को पूरी तरह से बंद कर दी गई

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उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में मौसम बेहद ज्यादा खराब हो गया है। तेज बर्फबारी हो रही है। जहां ऐसे में बुधवार को केदारनाथ यात्रा को पूरी तरह से बंद करने का निर्णय लिया गया है। उत्तराखंड के DGP आईपीएस अशोक कुमार ने इसकी जानकारी दी है।

डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि, केदारनाथ धाम में लगातार भारी बर्फबारी जारी है और इसी को देखते हुए केदारनाथ यात्रा बुधवार को पूरी तरह से बंद कर दी गई है। केदारनाथ धाम की यात्रा गौरीकुंड, ऋषिकेश एवं श्रीनगर से ही रोक दी गई है। इसके अलावा जो लोग धाम पहुंच चुके हैं। उन्हें दर्शन कराकर फटाफट वापस किया जा रहा है।

डीजीपी ने कहा कि, केदारनाथ धाम में ऊपर ऐसी बिलकुल भी स्थिति नहीं है कि लोग यहां रुक पाएं। इसलिए सुरक्षा के मद्देनजर सभी यात्री सुरक्षित स्थानों व यात्रा पड़ावों में जहां हैं वहीं बने रहें और केदारनाथ धाम की ओर न आएं। डीजीपी ने कहा कि, यात्रियों से अपील है कि कृपया मौसम साफ होने तक अपनी यात्रा को रोककर रखें। मौसम के मद्देनजर संभल कर और मौसम के पूर्वानुमान के अनुसार यात्रा प्रारंभ करें।

मौसम के अनुसार हम आगे जानकारी देंगे

डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि, केदारनाथ धाम में आगे के मौसम को लेकर हम जल्द ही जानकारी देंगे। इसलिए केदारनाथ धाम आने वाले लोगों से अनुरोध है कि तब तक यात्रा न करें जब तक हम मौसम को लेकर आगे की जानकारी नहीं देते।

25 अप्रैल को खुले हैं केदारनाथ के कपाट

केदारनाथ धाम के कपाट बीते 25 अप्रैल को ही खुले हैं। क्विंटलों फूलों की सजावट के साथ पूरे विधि-विधान से पूजा और मंत्रोचारण के साथ केदारनाथ के कपाट सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर खोले गए। इस दौरान स्थाननीय पड़ितों और पुरोहितों के साथ बाबा के दर्शन के लिए पहुंचे अनेक श्रद्धालु भी पहुंचे हुए थे. कपाट खोले जाने के दौरान भी धाम में भारी बर्फबारी हो रही थी। केदारनाथ में हो रही भारी बर्फबारी के बावजूद भक्त बाबा के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।

केदारनाथ की कहानी क्या है?

बतादें कि, भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक केदारनाथ धाम है। यहां भगवान भोलेनाथ 5वें ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं। ऐसी मान्यता है कि यहीं पर भगवान शिव ने पांडवों को बैल के रूप में दर्शन दिए थे। वहीं 8वीं और 9वीं सदी में जगतगुरु आदि शंकराचार्य ने इस भव्य मंदिर का निर्माण कराया था।

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