किडनी बेचकर जुए में उड़ाए 4 लाख, फिर मांगे और पैसे, तब हुआ खुलासा.इंडस अस्पताल का किडनी ट्रांसप्लांटेशन लाइसेंस सस्पेंड

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मुंबई से जुड़े हैं रैकेट के तार

जांच के लिए तीन मेंबर की एसआईटी बनी, अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट के सभी 35 केस खंगाले

डेराबस्सी- डेराबस्सी के इंडस इंटरनेशनल अस्पताल में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट के पर्दाफाश के बाद डायरेक्टर मेडिकल रिसर्च एंड एजुकेशन, मोहाली ने अस्पताल का किडनी ट्रांसप्लांटेशन लाइसेंस सस्पेंड कर दिया है। एसपी मोहाली की अगुवाई में तीन सदस्यीय स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) बनाई गई है। इस किडनी रैकेट के तार मुंबई से जुड़े बताए जा रहे हैं। एसआईटी जल्द ही मुंबई में दबिश देगी। वहीं, अस्पताल में अब तक हुए किडनी ट्रांसप्लांट के सभी 35 मामलों को खंगाला जा रहा है। जांच में सामने आया कि अस्पताल से लिए गए डोनर और रेसीपिएंट के ब्लड सैंपल बाहर जाते ही बदल दिए जाते थे, जिसकी दिल्ली की लैब से रिपोर्ट ओके आई। डीएनए में बोन मैरो की जरूरत नहीं पड़ती।

 

मामले का पर्दाफाश सिरसा के किडनी डोनर कपिल के माध्यम से हुआ था, जिसकी किडनी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 6 मार्च को सोनीपत के सतीश तायल को ट्रांसप्लांट की गई थी।किडनी डोनेशन के बदले 10 लाख रुपए की जगह केवल साढ़े चार लाख रुपए मिलने पर कपिल ने हंगामा मचाया और मामला पुलिस तक पहुंचा। पुलिस ने 18 मार्च को हेराफेरी, मिलीभगत और ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गेन एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। कोई शक भी करे तो कैसे जब वीडियोग्राफी में सभी डिफॉल्टर: नियमानुसार ऑर्गन बेचने वाला, खरीदने वाला और मिडिल मैन दोषी माने जाते हैं। तीनों के आधार कार्ड, वोटर कार्ड, सरपंच सर्टीफिकेट व एफिडेविट सही पाए गए। किडनी डोनर, रेसीपिएंट और उनकी फैमिली की वीडियोग्राफी में इंटरव्यू ली जाती है। इंटरव्यू में डोनर कह रहा है वह किडनी लेने वाले का बेटा है।

 

कमेटी सवाल करती है आपने कोई पैसा तो नहीं लिया, डोनर कहता है मैं उसका बेटा हूं और बेटा बाप से पैसा क्यों लेगा? यह भी पूछा गया कि आप पर कोई दबाव तो नहीं डाला जा रहा, वीडियो में इंकार किया है। किडनी रेसीपिएंट कहता है कपिल उसका असली बेटा है जबकि असली बेटा कहता है कि कपिल उसका छोटा भाई है। यही बात रेसीपिएंट की पत्नी कहती है कि कपिल उसका छोटा बेटा है और वह उसकी मां है। इनसे तहसीलदार का अटेस्टेड एफिडेविट भी अलग से लिया है। अस्पताल प्रबंधकों के अनुसार इस रैकेट में हॉस्पिटल खुद पीड़ित है।

पुलिस ने कहा- मोबाइल एप पर जुआ खेल उड़ाए पैसे

पुलिस ने इस केस में गुप्त सूचना का हवाला देकर अपने एक एएसआई को शिकायतकर्ता बनाया है। एफआईआर में कपिल का नाम न होने पर एसएचओ जसकरण सेखों का कहना है कि कपिल खुद फर्जीवाड़े के जुर्म में भागीदार है। उसके परिवार का कहना है कि वह बुरी संगत में रहा है। कपिल ने साढ़े 4 लाख रुपए मोबाइल एप पर जुआ खेलकर गंवा दिए और पैसे की मांग करने पर मामले का खुलासा हुआ। एसएमओ ने उसे साइकैट्रिक केस बताया है। आरटीसी अभिषेक व राजनारायण का चार दिन का रिमांड लेकर पुलिस ने पर्याप्त जानकारी जुटा ली है।

अस्पताल ने कहा- खुद डीएमआरआई को सूचित किया

छुट्टी पर होने की बात कहकर डायरेक्टर मेडिकल रिसर्च एंड एजुकेशन (डीएमआरई) अवनीत कुमार ने इंडस अस्पताल का किडनी ट्रांसप्लांटेशन लाइसेंस सस्पेंड करने की पुष्टि नहीं की है। हालांकि विभागीय सूत्रों ने चार दिन पहले हुए सस्पेंशन की पुष्टि की है। इंडस अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर सुरिंदर बेदी ने बताया कि चार दिन पहले सस्पेंशन लेटर मिल गया था। एफआईआर के बाद खुद डीएमआरई को सूचित किया था और ट्रांसप्लांट बंद कर दिया था।
अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट के 35 केस, जिनमें 15 ईएसआई ने भेजे, सभी जांच के घेरे में

हॉस्पिटल को 2021 में मंजूरी मिली थी और तभी से अभिषेक यहां बतौर रीनल ट्रांसप्लांटेशन कोऑर्डिनेटर काम कर रहा था। अस्पताल ने तीन साल में 35 केस निपटाए, सभी जांच के घेरे में हैं। किडनी ट्रांसप्लांटेशन दो तरह से होती है। एक ब्लड रिलेशन में जो अस्पताल स्तरीय कमेटी मंजूरी देती है, दूसरी गैर ब्लड रिलेशन वाली जिसे सरकारी कमेटी मंजूरी देती है। अस्पताल में 33 केस ब्लड रिलेशन के कारण हॉस्पिटल कमेटी ने ही तय किए जबकि केवल दो केस सरकारी कमेटी की मंजूरी से किए गए। मेडिकल डायरेक्टर के अनुसार इन केसों में करीब 15 केस ईएसआईसी ने भेजे थे। 14 केस रिव्यू किए हैं जो सही पाए गए।

 

एसपी की अगुवाई में तीन सदस्यीय एसआईटी गठित
एएसपी डॉ दर्पण आहलुवालिया ने बताया कि एसपी रूरल नवरीत सिंह विर्क की अगुवाई में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है, जिसमें मैं खुद और डेराबस्सी एसएचओ भी हैं। पुलिस को लगता है कि मामले के तार ऑर्गन्स की इंटरनेशनल खरीद-फरोख्त से जुड़े हैं। इसी के चलते मामला सार्वजनिक नहीं किया। मामले की जांच का घेरा बहुत दूर तक फैला हुआ है। जल्द ही बड़े खुलासे होने की उम्मीद है।

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