अब लीवर, किडनी और दिल के साथ-साथ स्किन भी कर सकेंगे डोनेट, PGI Chandigarh में खुला उत्तर भारत का पहला स्किन बैंक
उत्तर भारत के प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संस्थान पीजीआई चंडीगढ़ में अब स्किन बैंक भी खुल गया है. बताया जा रहा है कि यह उत्तरभारत का पहला स्किन बैंक है जहां लोग लीवर, किडनी, दिल और अन्य अंगों की तरह अपना स्किन भी डोनेट कर सकेंगे. इस स्किन बैंक के शुरू होने से मरीजों को स्किन बर्न और गंभीर चोट का समय पर इलाज मिलेगा और घाव भी जल्दी भरेगा.
इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए पीजीआई चंडीगढ़ के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉक्टर अतुल पाराशर ने बताया कि ये अपने आप में बहुत अलग विभाग है, जो पीजीआई में खोला गया है, जिससे आने वाले समय में कई जरूरतमंद लोगों को काफी फायदा होने वाला है. इस स्किन बैंक के शुरू होने से मरीजों को स्किन बर्न और गंभीर चोट का समय पर इलाज मिलेगा और घाव भी जल्दी भरेगा.
उन्होंने बताया कि पीजीआई में हर साल 500 से लगभग स्किन बर्न के कैसे आते हैं जिसमें अधिकतर 40% से ज्यादा झूलझे होते हैं. अब इस अस्पताल में अंग के साथ-साथ स्किन भी दान किया जा सकता है. पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग को इसके संचालन की जिम्मेदारी दी गई है. इंसान मरने के बाद भी अब अपनी स्क्रीन यानी चमड़ी दान में दे सकते हैं. चंडीगढ़ के पीजीआई के प्रोफेसर अतुल पराशर ने बताया कि अंगदान की ही तरह अब त्वचा दान के लिए भी रोटो के प्रतिनिधि गंभीर मरीजों के परिजनों को प्रेरित करेंगे.
डिपार्मेंट आफ प्लास्टिक सर्जरी के प्रोफेसर अतुल प्रवचन ने बताया कि ब्रेन डेड या घर में किसी मरीज की मौत के 6 घंटे के भीतर ही स्किन डोनेट हो सकती है. पहले फेज में हम पीजीआई में स्किन डोनेशन ब्रेन डेड मरीजों से करेंगे. इसीलिए वकायदा भारत सरकार ने थोआ रुलस ट्रांसपलाटेशन ऑफ हुमन एवं एंड टिशू एक्ट रूल्स जारी किए हुए हैं स्किन डोनेट के लिए क्रॉस मैच की जरूरत नहीं होगी.
अगर किसी को मौत से पहले शरीर में पीलिया या किसी प्रकार का कैंसर एचआईवी एड्स या सेक्सुअल ट्रांसमिट बीमारी हो तो उनकी स्किन डोनेट नहीं हो सकती. डॉक्टरों के अनुसार स्किन डोनेशन से जीवित रहने की दर बढ़ सकती है, संक्रमण को काफी काम किया जा सकता है. साथ ही यह दर्द भी कम करता है. अस्पताल में रहने की अवधि को काम करता है और इलाज की लागत भी काम आती है. डोनेट से मिली स्किन को आमतौर से 80% गैलरी गोल में रिजर्व किया जाता है. इससे चार से 6 डिग्री टेंपरेचर में रखा जाता है इसे 5 साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है. ज्यादातर जले हुए मरीज को इससे राहत मिलेगी.
प्लास्टिक सर्जरी के प्रोफेसर और स्किन बैंक के नोडल ऑफिसर प्रमोद कुमार ने बताया कि गहरी और अधिक जले मरीजों पर बैंक में उपलब्ध स्क्रीन से इन्फेक्शन और उसे संबंधित स्किन काफी हद तक काम हो जाएगा. 40 से 50 फीसदी बर्न केस स्किन के माध्यम से ठीक किया जा सकेगा और एसिड अटैक केस को भी शेप देने में मदद मिलेगी. वह मरीज जिनकी आंख-मुंह, नाक काफी गहरी जलने की वजह से विकृत हो गए हैं उनका कई स्टेज में जटिल ऑपरेशन से चेहरे की बनावट को सुधारा जा सकता है.