अमृतसर में आवारा कुत्तों का आतंक, गलियों में ‘मौत’ बनकर घूम रहे; एक दिन में 50 से अधिक लोगों को बनाया शिकार

पिछले साल आवारा कुत्तों के झुंड ने 32 वर्षीय एक महिला को नोच-नोचकर काट खाने की घटना ने दिल दहला दिया है। ऐसी घटनाओं के बाद सरकारी अधिकारी बयानबाजी करते हैं कि आवारा कुत्तों की समस्या से निजात दिलाएंगे, पर वास्तव में ऐसा होता नहीं।
कुत्तों के जन्म और नसबंदी के अनुपात में बड़ा अंतर है। इससे यह स्पष्ट होता है कि नगर निगम नसबंदी करता रहेगा, लेकिन आवारा कुत्तों की संख्या में कमी दर्ज नहीं हो सकेगी। नगर निगम ने अगस्त 2023 में नसबंदी का क्रम शुरू किया था। मूदल व नारायणगढ़ स्थित केंद्रों में यह प्रक्रिया की जा रही है।
कलेजा चीर देती हैं ये घटनाएं
- 2015 में मानांवाला में पंजाब रोडवेज के ड्राइवर सुबेग सिंह पर आवारा कुत्ते टूट पड़े। पूरी रात उसे नोचते रहे, सुबह शव मिला था।
- 2018 में अजनाला के तीन वर्षीय बच्चे अंगदबीर को आवारा कुत्तों के झुंड ने काट काट कर मौत की आगोश में पहुंचा दिया।
- गांव वरपाल के घर के बाहर खेल रहे दो वर्षीय गुरशान दीप को आवारा कुत्तों ने नोच नोच कर मार डाला था।
पशु चिकित्सक डॉ. राजीव शर्मा के अनुसार गर्मी में जब कुत्तों को समय पर भोजन पानी नहीं मिलता तो वे चिड़चिड़े हो जाते हैं। राहगीरों पर भौंकते हैं, उन पर हमला कर देते हैं। इस मौसम में कुत्तों से दूरी बनाए रखें। अगर संभव हो तो उनके लिए खाने व पानी की व्यवस्था करें। गर्मी में पानी की कमी से कुत्ते अधिक खूंखार हो जाते हैं।
अब तक किसी को नहीं मिला मुआवजा
पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर कुत्ते के काटने पर पीड़ित को सरकार मुआवजा देगी। इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर एक कमेटी का गठन किया गया है।
इसमें सिविल सर्जन नगर निगम कमिश्नर, एसएसपी, एडीसीपी ट्रैफिक पुलिस व संबंधित इलाके का एसडीएम को शामिल किया गया है। हालांकि अब तक आवारा कुत्तों का शिकार किसी भी व्यक्ति को मुआवजा नहीं मिला है।
रोजाना 10 से 15 लोग हो रहे आवारा कुत्तों का शिकार
गली-मोहल्लों और पार्कों में आवारा कुत्ते दनदना रहे हैं। हर रोज 10 से 15 लोगों को ये कुत्ते अपना शिकार बना रहे हैं। घायल लोग जब सरकारी अस्पतालों में पहुंचते हैं, तो इंजेक्शन न होने की वजह से इन्हें लौटा दिया जाता है।
हालांकि वर्तमान में सिविल अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन है, पर गुरुनानक देव अस्पताल सहित जिले के कई प्राथमिक चिकित्सा केंद्र में इनकी उपलब्धता नहीं है। आवारा कुत्ते के काटने के 24 घंटे में पहला इंजेक्शन लगाया जाता है। इसके बाद तीसरे, सातवें, चौदहवें व अंत में 28वें दिन इंजेक्शन लगाना अनिवार्य है। यदि एक भी इंजेक्शन न लगे तो मरीज को भविष्य में हलकाय की बीमारी से जूझना पड़ सकता है।
इन इलाकों में दनदनाते हुए घूमते हैं कुत्ते
अंदरूनी शहर के मजीठ मंडी, शक्ति नगर, नमक मंडी, भड़भूजियां बाजार, दाल मंडी, स्वांक मंडी, कटड़ा सफेद।