आज जारी होगा हरियाणा राज्यसभा उपचुनाव का नोटिफिकेशन: पंवार के इसराना से विधायक बनने के बाद दलित कोटे से खाली हुई सीट
चुनाव का ये है शेड्यूल
हरियाणा में राज्यसभा उपचुनाव के लिए 20 दिसंबर को वोटिंग होगी। इसी दिन शाम को रिजल्ट जारी होगा। चुनाव आयोग ने मंगलवार को इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया। 3 दिसंबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी। 10 दिसंबर को नामांकन की लास्ट डेट है। वोटिंग उसी सूरत में होगी, जब दूसरा नामांकन आएगा। भाजपा की संख्या बल के हिसाब से जीत तय मानी जा रही है, कांग्रेस पिछले राज्यसभा उपचुनाव की तरह इस चुनाव से भी किनारा कर सकती है।
डॉ बनवारी लाल, पार्टी का बड़ा दलित चेहरा
राज्यसभा उपचुनाव के लिए डॉ बनवारी लाल को बड़ा दावेदार माने जाने की तीन बड़ी वजहें हैं। पहली विधानसभा चुनाव में उनकी टिकट काट कर नए चेहरे को मैदान में उतारा गया। दूसरी पार्टी के बड़े दलित चेहरे के रूप में पहचान है। तीसरी वजह यह है कि वह पार्टी के दो केंद्रीय मंत्रियों के करीबी हैं। पहला पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर और केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह। ये दोनों नेता बनवारी लाल की पैरवी कर रहे हैं।
कुलदीप बिश्नोई, हरियाणा-राजस्थान के वोटरों में पकड़
पूर्व सीएम चौधरी भजनलाल के बेटे हैं। 2022 में भाजपा में शामिल हुए थे। 3 साल से भाजपा के साथ जुड़े हुए हैं। पूर्व में विधायक और सांसद रह चुके हैं। पत्नी और बेटा भी विधायक रह चुके हैं। प्रदेश में और राजस्थान में बिश्नोई वोटरों पर पकड़ है। भाजपा ने चुनाव में चुनाव कैंपेन समिति का प्रदेश संयोजक बनाया था। बेटे के पास भाजयुमो में पद है। ऐसे में इनके चेहरे पर पार्टी में विचार चल रहा है।
सुनीता दुग्गल: पार्टी का बड़ा दलित चेहरा, टिकट कटी थी
पार्टी का बड़ा दलित चेहरा है। सिरसा से 2019 में भाजपा के टिकट से लोकसभा सांसद रह चुकी हैं। हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उनकी टिकट काटकर अशोक तंवर को दे दी। फिर भी वह पार्टी से नाराज नहीं हुईं। उनकी दलितों में अच्छी पकड़ मानी जाती है। 2024 में रतिया से विधानसभा चुनाव लड़ीं, लेकिन हार गईं। चूंकि खाली हुई राज्यसभा सीट एससी सीट है, इसलिए सुनीता दुग्गल इस सीट के लिए प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं।
मोहन लाल बड़ौली: खुद नहीं लड़े, पार्टी को जितवाया
हरियाणा में भाजपा के बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में पहचान है। इसके अलावा लोकसभा सांसद रह चुके हैं। साथ ही लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में संगठन और सरकार को साथ लेकर अच्छा काम किया। यही वजह रही कि विधानसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ।हालांकि, लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी बड़ौली को विधानसभा टिकट भाजपा की तरफ से ऑफर किया गया था, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वह संगठन का काम करेंगे। बड़ौली कह चुके हैं कि पार्टी उन्हें जो जिम्मेदारी देगी वह उसे बखूबी निभाएंगे।
संजय भाटिया: खट्टर के लिए सीट छोड़ी, संगठन में एक्टिव
पंजाबी समुदाय से आते हैं। करनाल लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। 2024 में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कारण उन्होंने अपनी सीट छोड़ दी थी। इसके तुरंत बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्हें टिकट नहीं मिला। हालांकि, वह दोनों चुनावों में संगठन के लिए काम करते रहे।हाल ही में नायब सैनी के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए आने वाले कार्यक्रम के मुख्य संयोजक की भूमिका भी निभा चुके हैं। लगातार उपेक्षा के बाद भी भाटिया धरातल पर संगठन के लिए काम कर रहे हैं। इसलिए पूरी संभावना है कि उन्हें राज्यसभा की सीट के लिए भाजपा उम्मीदवार बना सकती है।
सुदेश कटारिया: विधानसभा चुनाव में दलित वोटरों को एकजुट किया
हरियाणा विधानसभा चुनाव में दलितों को एकजुट करने में कटारिया ने अहम भूमिका निभाई। लोकसभा चुनाव में दलित वोट के छिटकने के कारण पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने अपनी टीम के दलित फेस कटारिया को फील्ड में उतारा था। जिसके बाद उन्होंने सूबे की सभी 22 जिलों में दलित महासम्मेलन भी किए।चुनाव में परिणाम में अच्छे परिणाम भी रहे। इसके बाद यह पूरी संभावना है दलित चेहरे के रूप में कटारिया को राज्यसभा सीट का बीजेपी चेहरा बना दे।