मेयर ने की प्रशासक से मुलाकात, 170 करोड़ रुपये की अतिरिक्त ग्रांट देने का किया आग्रह

शहर की मेयर हरप्रीत कौर बबला ने मंगलवार को यूटी के प्रशासक और पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात की और व्यापक जनहित से संबंधित विभिन्न प्रमुख मुद्दों को उठाया तथा नगर निगम चंडीगढ़ की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने का आग्रह किया। मेयर ने प्रशासक को बताया कि नगर निगम चंडीगढ़ शहर के बुनियादी ढांचे को बनाए रखने और विकसित करने, स्वच्छता सुनिश्चित करने और बिना लाभ, बिना हानि के आधार पर आवश्यक सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हालांकि, अपने अथक प्रयासों के बावजूद, निगम गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा है, जिससे इन महत्वपूर्ण कार्यों को जारी रखने की उसकी क्षमता में बाधा आ रही है। उन्होंने फरवरी और मार्च 2025 के लिए वेतन, पेंशन, बिजली बिल, ईंधन लागत और अन्य आवश्यक व्यय को पूरा करने के लिए 170 करोड़ रुपये के तत्काल अतिरिक्त अनुदान का आग्रह किया। उन्होंने प्रशासक से अनुरोध किया कि वे चंडीगढ़ प्रशासन को नागरिक सेवाओं के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए इन निधियों को जारी करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करें। इसके अलावा, उन्होंने बेहतर वित्तीय नियोजन और संसाधनों के कुशल प्रबंधन को सक्षम करने के लिए, वित्तीय वर्ष 2025-26 में मासिक संवितरण के बजाय त्रैमासिक आधार पर अनुदान जारी करने की अपील की। मेयर ने कहा कि प्रशासक ने चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया तथा संबंधित अधिकारियों को नगर निगम चंडीगढ़ की वित्तीय स्थिति पर विस्तार से चर्चा करने के लिए शीघ्र ही एक बैठक बुलाने के निर्देश दिए।
अपनी बढ़ती जिम्मेदारियों के बावजूद, नगर निगम को 2024-25 वित्तीय वर्ष के लिए केवल 560 करोड़ रुपये का अनुदान मिला है, जबकि चौथे दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार 1,651.75 करोड़ रुपये की मांग की गई थी। पिछले पांच वर्षों में, अनुदान में केवल 4.53% की औसत दर से वृद्धि हुई है, जबकि वार्षिक व्यय में 10% की वृद्धि हुई है। मेयर ने कहा कि वित्तीय संकट के जवाब में, नगर निगम ने लागत में कटौती के कई उपाय लागू किए हैं। नगर निगम ने वॉटर टैरिफ, प्रापर्टी टैक्स और वेंडर चार्जेस के बकाएदारों से 14.15 करोड़ रुपये सफलतापूर्वक वसूल किए हैं, यहां तक कि भुगतान न करने के कारण 6,841 वेंडर साइट्स को भी रद्द कर दिया है। मेयर ने प्रशासक के समक्ष कुछ प्रमुख मुद्दे उठाए। उन्होंने बताया कि नगर निगम दो हजार किलोमीटर सड़कों का रखरखाव करती है, जिसमें प्रमुख और आंतरिक सड़कें, साथ ही पार्किंग स्थल शामिल हैं। सुचारू यातायात सुनिश्चित करने के लिए प्रतिवर्ष 270 किलोमीटर सड़कों का निर्माण या मरम्मत की जाती है, फिर भी इस कार्य से कोई प्रत्यक्ष राजस्व उत्पन्न नहीं होता है।