लोकहित सेवा समिति द्वारा महिला संकीर्तन मंडली ढकोली के सहयोग से श्री शिव मन्दिर ढकोली में पित्तर पक्ष में आयोजित

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लोकहित सेवा समिति द्वारा महिला संकीर्तन मंडली ढकोली के सहयोग से श्री शिव मन्दिर ढकोली में पित्तर पक्ष में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन ध्रुव चरित्र, प्रहलाद चरित्र, मत्स्य अवतार, समुद्र मंथन भगवान का बावन अवतार, राम कथा का समापन करते हुए कृष्ण जन्म के साथ कथा का विश्राम किया गया।

समिति की प्रवक्ता भावना चौधरी ने बताया है कि आज भाजपा जीरकपुर मण्डल उपाध्यक्ष अनुज अग्रवाल तथा समाजसेवी जे.आर शर्मा मुख्य अतिथि रहे, जबकि यजमान की भूमिका अंकिता तथा बृजेश कुमार ने निभाते हुए पूजा अर्चना करके भागवत कथा को आगे बढ़ाया। वृंदावन धाम से विशेष रूप से पधारे राष्ट्रीय संत महामंडलेश्वर योगी हितेश्वरनाथ मिश्रा ने भक्तों को कथा सुनाते हुए बताया कि जिस समय असुर संस्कृति शक्तिशाली हो रही थी, उस समय असुर कुल में एक अद्भुत प्रह्लाद नामक बालक का जन्म हुआ था। उसका पिता असुर राज हिरण्यकश्यप तथा मां कयाधु थी| वह हिरण्यकशिपु और कयाधु के चार पुत्रों में सबसे बड़ा था | वह देवताओं से वरदान प्राप्त कर के निरंकुश हो गया था। उसका आदेश था कि उसके राज्य में कोई विष्णु की पूजा नही करेगा। परंतु प्रह्लाद विष्णु भक्त था और ईश्वर में उसकी अटूट आस्था थी। इस पर क्रोधित होकर हिरण्यकशिपु ने उसे मृत्यु दंड दिया। हिरण्यकशिपु की बहन होलिका जिस को आग से न मरने का वर था, प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गई, परंतु ईश्वर की कृपा से प्रह्लाद को कुछ न हुआ और वह स्वयं भस्म हो गई।असुरों के राजा बलि ने देवताओं को युद्ध में पराजित कर दिया था और स्वर्ग अपने कब्जे में ले लिया था। बलि की वजह से सभी देवता बहुत दुखी थे। दुखी देवता अपनी माता अदिति के पास पहुंचे और अपनी समस्या बताई। इसके बाद अदिति ने पति कश्यप ऋषि के कहने पर एक व्रत किया, जिसके शुभ फल से भगवान विष्णु ने वामन देव के रूप में जन्म लिया। आकाशवाणी के अनुसार माता देवकी की आठवीं संतान रूप में स्वयं भगवान विष्णु कृष्ण अवतार के रूप में पृथ्वी पर जन्मे थे। उसी समय माता यशोदा ने एक पुत्री को जन्म दिया। इस बीच कारागार में अचानक प्रकाश हुआ और भगवान श्री हरि विष्णु प्रकट हुए। भगवान श्री कृष्ण के जन्म के साथ ही कथा में उपस्थित महिलाएं एवम् पुरूष भाव विहोर हो गए तथा उनकी पूजा अर्चना में लीन हो गए। भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग का प्रसाद लगाया गया। श्री कृष्ण जन्म उपरांत धार्मिक भजनों पर उपस्थित जनसमूह ने जमकर नाच गाकर आनंद उठाया। भागवत कथा को सफल बनाने में भावना चौधरी, नवीन मनचंदा, मंजीत कौर, पंडित हर्ष, अलका शर्मा, विजय कुमार, सीमा माथुर, सतीश भारद्वाज, अनुज अग्रवाल, किरण मल्होत्रा तथा आशु शर्मा का सराहनीय योगदान रहा।

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