जम्मू-कश्मीर: दो और सरकारी कर्मियों की सेवा समाप्त, अब तक 82 लोगों की छीनी गई नौकरी – JK LG SACKS GOVT EMPLOYEES

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जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में कथित संलिप्तता के चलते दो और सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त करने के आदेश दिए हैं. जानकारी के मुताबिक 2021 से अब तक कुल ऐसे 82 लोग बर्खास्त किए जा चुके हैं.

जो जानकारी मिली है उनकी मानें तो जम्मू और कश्मीर पुलिस में सहायक वायरलेस ऑपरेटर बशारत अहमद मीर और लोक निर्माण (आरएंडबी) विभाग में वरिष्ठ सहायक इश्तियाक अहमद मलिक को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (सी) के तहत बर्खास्त कर दिया गया. बता दें, राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा माने जाने पर औपचारिक जांच के बिना किसी भी व्यक्ति को सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है.

एलजी प्रशासन के एक बयान के अनुसार, श्रीनगर के अपर ब्रेन का निवासी मीर, पाकिस्तान खुफिया अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में था. इसी वजह से वह खुफिया एजेंसियों के रडार पर आ गया था. वह कथित तौर पर विरोधी ताकतों के साथ सुरक्षा प्रतिष्ठानों और तैनाती के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी शेयर करता था. एक संवेदनशील क्षेत्र में तैनात एक प्रशिक्षित पुलिस अधिकारी के रूप में, मीर की हरकतों को ‘राष्ट्रीय संप्रभुता और सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा, देश की क्षेत्रीय अखंडता से समझौता करने वाला’ बताया गया.

वहीं, अनंतनाग जिले के शित्रू लार्नू निवासी मलिक की पहचान प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी जम्मू और कश्मीर (जेईआई-जेके) के सक्रिय सदस्य और प्रतिबंधित आतंकवादी समूह हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी सहयोगी के रूप में की गई थी. जेईआई के एक प्रमुख पदाधिकारी के रूप में, उसने कथित तौर पर समूह की उपस्थिति को मजबूत करने और आतंकवादियों के रैंकों में सहानुभूति रखने वालों की भर्ती में मदद की. इसके साथ-साथ आतंकवादियों को भोजन, आश्रय और खुफिया जानकारी सहित रसद सहायता प्रदान की. उसके कार्यों को सुरक्षा बलों और नागरिकों पर कई हमलों को सक्षम करने से जोड़ा गया था.

एक सरकारी प्रवक्ता ने बयान देते हुए कहा कि सरकारी सेवा में रहते हुए राष्ट्र-विरोधी तत्वों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. प्रवक्ता ने आगे कहा कि केंद्र की जीरो टॉलरेंस नीति से कभी भी समझौता नहीं होगा. उन्होंने कहा कि जो भी ऐसा कार्य करेगा उसके खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.

वहीं, हाल ही में बर्खास्त किए गए कर्मचारियों की सूची में ऐसे ही आरोप शामिल हैं, जिनके चलते सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है. मार्च में, जल शक्ति विभाग के पांच कर्मचारियों को मादक पदार्थों की तस्करी में कथित संलिप्तता के लिए बर्खास्त कर दिया गया था. यह कार्रवाई नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत दर्ज एफआईआर के आधार पर की गई थी. उस कार्रवाई में अनुच्छेद 311 (2) भी लगाया गया था, जो जम्मू-कश्मीर में मादक पदार्थों से संबंधित मामलों में इसके इस्तेमाल का पहला उदाहरण था.

इससे पहले, फरवरी में, तीन कर्मचारियों (एक पुलिस कांस्टेबल, एक स्कूल शिक्षक और एक वन विभाग के अर्दली) को हथियारों की व्यवस्था कराने, लक्ष्यों की पहचान करने और हिंसक विरोध प्रदर्शनों को भड़काने के जरिए आतंकवादी नेटवर्क की सहायता करने के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया था.

राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के संदिग्ध सरकारी कर्मचारियों की जांच के लिए 2021 में एक विशेष टास्क फोर्स के गठन के बाद से कुल 82 कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त किया जा चुका है. 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और उसके बाद जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने के बाद टास्क फोर्स का गठन किया गया था.

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