हैदराबाद में हवाला रैकेट का पर्दाफाश, ड्रग्स और ग्लोबल मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े तार – HAWALA RACKET BUSTED IN HYDERABAD

तेलंगाना एंटी-नारकोटिक्स ब्यूरो (TGNAB) ने हैदराबाद से संचालित एक हवाला रैकेट का भंडाफोड़ किया. इसमें अवैध धन हस्तांतरण, मादक पदार्थों की तस्करी और अंतरराष्ट्रीय मनी लॉन्ड्रिंग का मामला शामिल है.
ऐसा माना जाता है कि शहर के प्रमुख वाणिज्यिक क्षेत्रों में गुप्त रूप से संचालित इस नेटवर्क ने भारत और विदेश में सैकड़ों करोड़ रुपए की आवाजाही में मदद की है.
बता दें कि साल 2023 और 2024 में हाल ही में की गई कार्रवाई में अधिकारियों द्वारा कई महत्वपूर्ण जब्तियां की गईं. एक मामले में, बंजारा हिल्स में एक लग्जरी कार में 3.35 करोड़ रुपये पाए जाने के बाद जुबली हिल्स जाते समय तीन संदिग्धों को हिरासत में लिया गया.
वहीं सुल्तान बाजार में अधिकारियों ने इस साल की दूसरी बड़ी छापेमारी में 1.21 करोड़ रुपए जब्त किए. मामले में राजस्थान के दो लोगों ने मुंबई में तैनात एक हैंडलर के लिए काम करना स्वीकार किया, जिसे बबलू के नाम से जाना जाता है.
वहीं नाइजीरियाई ड्रग किंगपिन इबुका सूजी की गिरफ्तारी के साथ जांच ने अंतरराष्ट्रीय मोड़ ले लिया. अधिकारियों ने खुलासा किया कि सूजी ने 120 करोड़ रुपए विदेश में ट्रांसफर करने के लिए मुद्रा मध्यस्थों का इस्तेमाल किया, जिससे इस योजना का दायरा विश्वव्यापी हो गया.
अधिकारियों के मुताबिक ये लेनदेन सभी स्थापित वित्तीय प्रणालियों से बाहर अनौपचारिक हवाला पद्धतियों का उपयोग करके किए गए थे. अधिकारियों का दावा है कि हवाला प्रणाली से देश के अंदर और बाहर दोनों जगह तुरन्त और गुप्त रूप से धन भेजना संभव हो जाता है.
नशीली दवाओं की बिक्री, टैक्स चोरी, साइबर अपराध और अवैध धन इन सभी लेन-देन के लिए आम उपयोग में हैं. मामले में विदेशी मुद्रा दलाल इन भुगतानों के लिए 40 प्रतिशत तक कमीशन लेते हैं.
अधिकारियों के अनुसार, हैदराबाद के हवाला हॉटस्पॉट में अम्बरपेट, बेगम बाजार, सुल्तान बाजार, सिकंदराबाद, आबिड्स, चत्रिनाका, कटेदान और बंजारा हिल्स शामिल हैं.
उन्होंने दावा किया कि इन क्षेत्रों में परिचालन के लिए प्रति लाख 1,000 रुपये का शुल्क लिया जाता है तथा पकड़े जाने से बचने के लिए कूट भाषा और विश्वसनीय कूरियर का उपयोग किया जाता है. चुनाव के समय लगातार 100-200 करोड़ रुपये की जब्ती के बावजूद अधिकारियों का अनुमान है कि यदि प्रतिदिन जांच की जाए तो यह वार्षिक राशि आसानी से 2,000-3,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है. इस बारे में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “ये नेटवर्क बहुत मजबूत के साथ ही तकनीक रूप से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं.”