दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों पर बड़ी कार्रवाई, 18 घुसपैठियों को पकड़ा; 8 भारतीयों ने की थी मदद

पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ विदेशी अधिनियम सहित भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया है। पुलिस ने इन्हें शरण देने और इनके फर्जी दस्तावेज बनवाने वाले आठ भारतीय नागरिकों पर भी केस दर्ज किया है। इन भारतीय आरोपितों ने इन्हें फर्जी दस्तावेजों पर नौकरी और किराए पर मकान भी दिलवाए।फर्जी दस्तावेज बनवाकर दिल्ली में रहने वाले बांग्लादेशियों में मोहम्मद ज्वेल इस्लाम, मोहम्मद आलमगीर, मोहम्मद लतीफ खान, मोहम्मद नदीम शेख, मोहम्मद मिजानुर रहमान, रबीउल, मोहम्मद रेजाउल और कमरुज्जमां शामिल हैं। इनमें मोहम्मद लतीफ कूड़ा बीनने का काम करता है। वह रिश्तेदारों के माध्यम से बांग्लादेश में पैसे भेजता है।
मोहम्मद मिजानुर रहमान स्क्रैप डीलर के रूप में काम करता है। रबीउल डिफेंस कॉलोनी के एक अस्पताल में अटेंडेंट के तौर पर काम करता है। कमरुज्जमां जोमैटो डिलीवरी ब्वाय के रूप में काम करता है। इस गिरोह का मास्टरमाइंड मोहम्मद मोइनुद्दीन दिल्ली में एक कंप्यूटर की दुकान चलाता था। ये आरोपित ही फर्जी आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र सहित प्रवासियों के अन्य दस्तावेज तैयार करता था। जबकि शाहीन नाम का आरोपित प्रवाासियों को नौकरी दिलाता थ। अन्य आरोपित मनवर हुसैन और निमाई करमाकर ने बांग्लादेश में अवैध रूप से मनी पैसे भेजे।
पुलिस जांच में सामने आया कि बांग्लादेशी ज्वेल इस्लाम और मोहम्मद आलमगीर फर्जी आधार और पैन कार्ड के साथ पिछले कई साल से दिल्ली में रह रहे थे। मोहम्मद आलमगीर ने 2007 में दिल्ली आकर फर्जी दस्तावेज बनवाकर अपने बच्चों का दाखिला भारतीय स्कूलों में भी करा लिया।
इसी तरह आरोपित मोहम्मद रेजाउल वर्ष 2000 से दिल्ली में अवैध रूप से रह रहा है। उसने भारतीय पासपोर्ट भी बनवा लिया और पिछले दो साल में 22 बार भारत और बांग्लादेश की यात्रा कर चुका है। आरोपित वर्तमान में कैब ड्राइवर के रूप में काम कर रहा था। इसके अलावा कमरुज्जमां 2014 में फर्जी आईडी के साथ भारतीय डिलीवरी एजेंट के रूप में आया था।
ये लोग बांग्लादेशी में पैसा भेजने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग कर रहे थे। पहले पैसे को भारतीय बैंक खातों में जमा करते थे। फिर यूपीआइ के माध्यम से सीमा एजेंटों को ट्रांसफर कर देते थे। फिर हवाला के जरिए पैसा प्रवासियों के बांग्लादेश में रहने वाले परिवारों को दिया जाता था। आरोपित दिल्ली में शरण लेने के लिए अधिकतर अपने पुराने रिश्तेदारों के पास पहुंचते थे। फिर यहां उन्हें कम वेतन की वजह से काम भी मिल जाता था।
अवैध प्रवासियों को नौकरी सहित अन्य सुविधा मुहैया कराने वाले आठ भारतीयों को भी दबोचा है। इनमें बांग्लादेशियों के फर्जी दस्तावेज बनाने वाला निजामुद्दीन निवासी मोहम्मद मोइनुद्दीन, नौकरी दिलाने वाला मोहम्मद शाहीन, आधार कार्ड बनवाने वाला जुल्फिकार अंसारी, जावेद, फरमान खान, प्रवासियों के रिश्तेदारों को पैसा भेजने वाला मनवर हुसैन, निमाई कर्माकर और गौरंगा दत्ता शामिल है।