रोपवे के जरिए केदारनाथ, हेमकुंड साहिब तक सिर्फ 30 मिनट लगेंगे

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रोपवे के जरिए केदारनाथ, हेमकुंड साहिब तक सिर्फ 30 मिनट लगेंगे

 

केदारनाथ और हेमकुंड साहिब की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों के लिए दोहरी खुशखबरी, 30 मिनट से भी कम समय में पहुंच सकेंगे रोपवे से

 

केदारनाथ और हेमकुंड साहिब की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों के लिए डबल खुशखबरी है। उत्तर भारत के इन दो अत्यंत प्रतिष्ठित पवित्र तीर्थों तक जाना आसान होने वाला है। रोपवे चालू होने के बाद दोनों जगहों पर 30 मिनट से भी कम समय में पहुंचा जा सकेगा।

 

हेमकुंड साहिब उत्तराखंड के चमोली जिले में समुद्र तल से 4,632 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह ने इस स्थल पर तपस्या किया था। हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा एक सुरम्य हिमनदी झील के तट पर स्थित है। गोविंद घाट से लगभग 19 किमी की पैदल यात्रा द्वारा वहां पहुंचा जा सकता है।

 

केदारनाथ भगवान शिव का एक पवित्र मंदिर है और चार धामों में से एक है। यह उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में समुद्र तल से 3,583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरे इस मंदिर तक गौरीकुंड से लगभग 16 किमी की पैदल यात्रा या हेलीकाप्टर सेवा द्वारा पहुंचा जा सकता है।

 

हर साल कई लाख तीर्थयात्री इन मुश्किल स्थानों तक पहुंचने के लिए पवित्र तीर्थ यात्रा करते हैं और वहां जाकर प्रार्थना करते हैं। अत्यधिक बर्फबारी के कारण सर्दियों के मौसम में मंदिर सभी स्थानों से पूरी तरह कट जाता है।

 

राष्ट्रीय राजमार्ग रसद प्रबंधन लिमिटेड, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की एक सहायक कंपनी, ने दोनों स्थलों के लिए रोपवे निर्माण हेतु निविदाएं जारी की थीं, ताकि तीर्थयात्री पूरे वर्ष आराम और सुरक्षा के साथ इन पवित्र तीर्थस्थलों की यात्रा कर सकें और गोंडोला या केबल कार की खिड़कियों से सुरम्य पहाड़ों का दीदार कर सकें।

 

जी आर इंफ्राप्रोजेक्ट्स उत्तराखंड (ग्रिल) में गौरीकुंड से केदारनाथ और गोविंद घाट से हेमकुंड साहिब तक दो रोपवे परियोजनाओं के निर्माण के लिए सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी के रूप में सामने आई है। दोनों परियोजनाओं को हाइब्रिड वार्षिकी मोड (एचएएम) में विकसित किया जाएगा और नियत तारीख से चार साल के भीतर इन्हें पूरा करना होगा। गंतव्य स्टेशनों पर यात्रियों के लिए फूड कोर्ट जन सुविधाएं रहेंगी।

 

एक बार चालू होने के बाद ये रोपवे, विशेष रूप से बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए महान उपहार होंगे, जो किसी भी मौसम में बिना किसी कठिनाई के मिनटों में मंदिरों तक पहुंच सकेंगे। कनेक्टिविटी से राज्य को रणनीतिक रूप से पर्यावरण अनुकूल समाधान प्रदान करने में भी मदद मिलेगी जो पूरे वर्ष पर्यटन को संभव करेगा। तीर्थयात्रियों के लिए, यह एक आकर्षण होगा जो लुभावने प्राकृतिक दृश्यों के साथ तीर्थयात्रा को और भी यादगार और दिव्य बनाएगा।

 

केदारनाथ:

 

• इसमें 4 स्टेशनों के साथ तीन रोपवे शामिल हैं।

• एक घंटे में 3600 यात्रियों को ले जाने की क्षमता।

• केबल कार एक बार में 35 यात्रियों को ले जा सकती है।

• एक दिन के ट्रेक को घटाकर 25 मिनट कर दिया जाएगा।

 

हेमकुंड साहिब:

 

• 7 स्टेशनों के साथ एकीकृत अद्वितीय सिंगल या ट्रिपल केबल कार प्रणाली।

• एक घंटे में 2200 यात्रियों को ले जाने की क्षमता।

• केबल कार एक बार में 10-35 यात्रियों को ले जा सकती है।

• दो दिन के ट्रेक को घटाकर 30 मिनट कर दिया जाएगा।

• यूनेस्को वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व्स यानी ‘वैली ऑफ फ्लावर्स’ नामक नेशनल पार्क तक का 24 घंटे का ट्रेक घटकर सिर्फ 2 घंटे रह जाएगा।

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