‘आरोपियों पर बुलडोजर की कार्रवाई कानून के खिलाफ’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

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सुप्रीम कोर्ट में तीन राज्यों में बुलडोजर चलाए जाने के मामले में सुनवाई हुई, सुनवाई करते हुए जस्टिस बीआर गवई ने सवाल उठाया कि आपराधिक कानून के तहत आरोपियों पर बुलडोजर कैसे चलाया जा सकता है? कोर्ट ने कहा है कि मामले की सुनवाई अगले सोमवार को होगी. दरअसल, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने हाल ही में यूपी, मध्य प्रदेश और राजस्थान की घटनाओं का हवाला देते हुए बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

 

इस याचिका में जमीयत ने अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाए जाने का आरोप लगाया है. अर्जी में सरकार से आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाने पर रोक लगाने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि मई में मध्य प्रदेश में एक आरोपी के पिता की संपत्ति पर बुलडोजर चलाया गया था. वह भी घटना के कुछ ही घंटों के भीतर. कानूनी प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही सरकार ने उन्हें सजा दे दी.

 

सुप्रीम कोर्ट में किसकी दलील?

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई कार्रवाई पर दलील दी, इस दौरान कोर्ट ने उनसे पूछा कि अगर कोई आरोपी है तो सिर्फ इसी आधार पर बुलडोजर की कार्रवाई कैसे की जा सकती है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कानून के खिलाफ है और हम इस संबंध में निर्देश जारी करेंगे और सभी राज्यों को नोटिस भी जारी करेंगे.

 

सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि म्यूनिसिपल एक्ट में सिर्फ बुलडोजर कार्रवाई का प्रावधान है. कोर्ट ने सवाल किया कि क्या आरोपियों के खिलाफ आपराधिक कानून के तहत बुलडोजर की कार्रवाई की जा सकती है. इस पर जवाब देते हुए एसजी ने कहा कि आपराधिक कानून के तहत दोषी ठहराए जाने के बाद भी बुलडोजर की कार्रवाई नहीं की जा सकती. उन्होंने कोर्ट से समय मांगा, जिसके बाद बेंच ने कहा कि वे इस मामले पर अगले सोमवार को सुनवाई करेंगे.

 

वहीं जमीयत की ओर से पेश हुए वकील दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया है कि बुलडोजर कार्रवाई के जरिए सिर्फ अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है, इसलिए इन मामलों को तुरंत रोकने की जरूरत है.

22 और 26 जून को मध्य प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद और बरेली में भी दो एफआईआर में नामजद आरोपियों की छह संपत्तियों पर बुलडोजर चलाया गया. इसके साथ ही राजस्थान के उदयपुर में प्रशासन और वन विभाग की टीम ने आरोपी राशिद खान के घर को ध्वस्त कर दिया. राशिद के 15 साल के बेटे पर स्कूल में अपने सहपाठी की चाकू से हत्या करने का आरोप था.

 

केंद्र सरकार और राज्यों को पक्षकार बनाया गया

याचिका में केंद्र सरकार और राज्यों को पक्ष बनाया गया था. कहा गया कि आरोपियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करने के बजाय उनके घरों को बुलडोजर से ध्वस्त किया जा रहा है. यह पूरी तरह से गैरकानूनी और मनमाना रवैया है, जिससे अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है.

 

हाल ही में यूपी के मैनपुरी में शहीद स्मारक स्थल पर बुलडोजर चलाने को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया था. अखिलेश ने कहा कि बीजेपी की राजनीति अब शहीदों के साथ भी भेदभाव करने लगी है. मॉल टीम द्वारा शहीद मुनीश यादव के स्मारक स्थल पर बुलडोजर चलाया गया।

 

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