रिजर्व बैंक ने कर्ज लेने वालों को दी राहत, MPC बैठक में रेपो रेट को लेकर किया बड़ा फैसला
रिजर्व बैंक ने तीन दिन चली मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) की बैठक के नतीजों की घोषणा कर दी है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) दास ने घोषणा करते हुए कहा कि लगातार दूसरी बैठक में ब्याज दरों को स्थिर रखा है। रेपो रेट इस बार भी 6.5 प्रतिशत पर स्थिर है। इस प्रकार यदि आपने होम लोन लिया है या फिर जल्द ही कार लोन लेने वाले हैं तो आपके लिए राहत की बात है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की छह सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) की 43वीं बैठक 6 जून 2023 को शुरू हुई थी।
बता दें कि रिजर्व बैंक पिछले साल मई से लगातार रेपो रेट (RBI Repo Rate) में बढ़ोत्तरी कर रहा है। सिर्फ अप्रैल में हुई एमपीसी की बैठक में ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी नहीं हुई थी। रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट महंगा करने से सभी प्रकार के कर्ज महंगे (Expensive Loans) हो गए हैं। इसका सबसे बुरा असर होम लोन लेने वाले ग्राहकों की ईएमआई (EMI) पर पड़ा है। यही कारण है कि कर्ज लेने वाले आरबीआई से राह की उम्मीद लगाएं थे। वहीं शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले भी इस घोषणा का इंतजार कर रहे थे।
पिछले साल कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बीच रिजर्व बैंक ने करीब 2 साल के ब्रेक के बाद अचानक रेपो रेट में बदलाव शुरू किया। तब से पिछले एक साल में देश में कर्ज (Loan) लगातार महंगा हो रहा है। बता दें कि महंगाई को कंट्रोल करने के लिए आरबीआई ने मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रेपो रेट को 2.5 फीसदी बढ़ा दिया था। जिसका असर घर और कार के कर्ज पर हुआ है। कर्ज महंगा होने से EMI का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। पिछले साल तक करीब 7 फीसदी के आसपास मिल रहा होम लोन (Home Loan) और कार लोन (Car Loan) दहाई के अंकों में पहुंच गया। वहीं पर्सनल लोन (Personal Loan) सबकी ईएमआई (EMI) लगातार बढ़ रही है। हालांकि आम लोगों को फिक्स डिपॉजिट की बढ़ती दरों के रूप में फायदा भी मिला है।
जब बैंकों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा यानी रेपो रेट कम होगा तो वो भी अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं। और यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाएगा तो बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और वे अपने ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा कर देंगे। बता दें कि रेपो रेट में बदलाव करने से आम जनता पर असर कैसे पड़ता है, उसे आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है। बैंक हमें कर्ज देते हैं और उस कर्ज पर हमें ब्याज देना पड़ता है। ठीक वैसे ही बैंकों को भी अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारी-भरकम रकम की जरूरत पड़ जाती है और वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कर्ज लेते हैं। इस ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं।
