शहीद जवान के परिवार को बड़ी राहत 34 साल पहले श्रीलंका में शहीद हुए सैन्य अधिकारी के परिवार को बड़ी राहत मिली है

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34 साल पहले श्रीलंका में शहीद हुए सैन्य अधिकारी के परिवार को बड़ी राहत मिली है

 

हाईकोर्ट ने शहीद दविंदर सिंह संधू के भतीजे को पंजाब पुलिस में डीएसपी नियुक्त करने का आदेश दिया

 

चंडीगढ़, 29 दिसंबर,

 

करीब 34 साल पहले श्रीलंका में ऑपरेशन पवन के दौरान शहीद हुए सैनिक के परिवार को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को 1989 में श्रीलंका में शहीद हुए दविंदर सिंह संधू के भतीजे को डीएसपी नियुक्त करने का आदेश दिया है. मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की आलोचना भी हुई. कोर्ट का यह फैसला अन्य शहीद जवानों के परिवारों के लिए भी उम्मीद की किरण है. हाईकोर्ट ने कहा है कि शहीद जवानों को शहीद पुलिसकर्मियों से कम दर्जा देना अस्वीकार्य है. हाईकोर्ट में दायर याचिका में बठिंडा निवासी सरबजीत सिंह सिद्धू ने कहा कि उनका बेटा दविंदर सिंह संधू नौसेना में लेफ्टिनेंट पायलट था. वह 1989 में भारत सरकार द्वारा चलाए गए ऑपरेशन पवन के दौरान श्रीलंका में शहीद हो गए थे। याचिकाकर्ता के परिवार में अब केवल उनका बेटा मौजूद है, जो परिवार का भरण-पोषण करने वाला और शहीद सरबजीत सिंह सिद्धू का भतीजा है। याचिकाकर्ता के पोते ने पंजाब सरकार की गरिमा नीति के तहत डीएसपी पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया था, लेकिन उसे मंजूरी नहीं दी गई। पंजाब सरकार का कहना है कि इस नीति के तहत शहीद पुलिस कर्मियों के भतीजों को नौकरी दी गई है, लेकिन शहीद जवानों के मामले में ऐसा नहीं किया गया है. हाई कोर्ट ने कहा कि देश के लिए अपनी जान न्यौछावर करने वाले रक्षा कर्मियों को पुलिस बल में सेवा करते हुए शहीद होने वाले जवानों से निचले स्तर पर नहीं रखा जा सकता है. शहीद सेना के जवानों के आश्रितों के दावों को शहीद पुलिस कर्मियों के आश्रितों से कम महत्व नहीं दिया जा सकता. अगर सरकार शहीद पुलिसकर्मियों के आश्रितों को सम्मान और पुनर्वास देना चाहती है तो शहीद जवानों के मामले में अलग मानक तय नहीं किया जा सकता. ऐसे में हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के पोते को डीएसपी बनाने के लिए 3 महीने के भीतर फैसला लेने का आदेश दिया है.

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