वकील न्याय के लिए लड़ता है या अपने मुअकिल के लिए । ये संवाद है फंदी का
फंदी
वकील न्याय के लिए लड़ता है या अपने मुअकिल के लिए । ये संवाद है फंदी का ।
मुकेश शर्मा द्वारा निर्देशित तथा डॉक्टर शंकर शेष द्वारा लिखित, हिंदी नाटक ‘फंदी’ इच्छामृत्यु की वकालत करता है । आज दिनाक 06.08.2024 को
“उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र”, पटियाला
के सहयोग से “संवाद थियेटर ग्रुप” द्वारा डॉक्टर शंकर शेष द्वारा लिखित नाटक फंदी का मंचन स्थानीय टैगोर थियेटर के मिनी ऑडिटोरियम में किया गया।
इच्छामृत्यु पर आधारित यह नाटक, नायक फंदी के इर्द-गिर्द घूमता है, जो एक गरीब ट्रक चालक है, और उस पर अपने कैंसर से पीड़ित पिता की हत्या का आरोप है। फंदी का बचाव करने के लिए नियुक्त वकील, भले ही एक नेकदिल और संवेदनशील व्यक्ति है, फंदी की मदद करने की कोशिश भी करता है, लेकिन अदालत में लड़खड़ा जाता है, खासकर तब, जब सरकारी वकील फंदी के दोस्तों को दुश्मन बना कर पेश कर देता है । फंदी की पत्नी का एक्सीडेंट हो जाने के कारण वो गवाही देने के लिए नहीं आ पाती। अन्य गवाह भोला अपने भोलेपन से फंदी की रिहाई का रास्ता बंद कर देते हैं। वकील अपनी अक्षमता को पहचानता है और दूसरे वरिष्ठ वकील को फंदी की पैरवी करने के लिए आमंत्रित करता है। वरिष्ठ वकील फंदी की ओर से मामले की जोरदार पैरवी करता है, लेकिन फैसला दर्शकों की कल्पना पर छोड़ दिया जाता है।
मुकेश शर्मा द्वारा निर्देशित, छह अभिनेताओं के इर्द-गिर्द घूमने वाला यह प्रदर्शन, अपने आप में एक अलग तरह की प्रस्तुति थी। इस तरह से अद्भुत था कि इसमें हत्या में शामिल नैतिक दुविधा के विभिन्न आयामों को बिना किसी चमक-दमक के सामने लाया गया। कलाकार नाटक की गति को बनाए रखने में सफल रहे। दो पेज के लगातार संवादों को फंदी के वकील की भूमिका में डाक्टर अरुण कुमार ने लगभग दोषरहित तरीके से प्रस्तुत किया । डॉक्टर अरुण कुमार पेशे से एक सर्जन है और यह उनका पहला नाटक था । एक घंटे के कोर्ट रूम सीन में सभी तरह के किरदार निभाने वाले ‘फंदी’ के रूप में सुरेन्द्र कुमार ने भी बहुत अच्छा प्रदर्शन किया । उनके द्वारा अभिनीत अलग-अलग किरदारों को विविधा से प्रस्तुत करने में सुरेन्द्र सफल रहे । सुरेंद्र ने इस नाटक में 9 अलग अलग भूमिकाएं अभिनीत की । सभी सराहनीय थी । वार्डन की भूमिका में तीसरे अभिनेता अनिल कुमार थे, जो अपनी एंट्री से दर्शकों को गुदगुहाट से भर जाते थे , हालाकि उनका भी यह प्रथम नाटक था । जज के रूप में रजनी बजाज, सरकारी वकील के रोल मे हिमांशी राजपूत और वरिष्ट वकील के रूप में अरविंद शर्मा ने अपने अपने किरदारों से नाटक में प्राण डाल दिए ।
प्रोडक्शन में कृष्णा भट्ट,सुशांत ,सोनू, नीरज,आदित्य,नरेंद्र थे । सेट डिजाइन किया हंसराज जी ने ।म्यूजिक पर उदय जी, लाइट्स डिजाइन की चेतन प्रकाश जी ने ।