चंडीगढ़ में स्वाइन फ्लू की एंट्री: अस्पताल के डॉक्टर हुए बीमारी का शिकार, स्वास्थ्य विभाग ने जारी की ये एडवाइजरी

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हरियाणा में जहां एक तरफ डॉक्टर हड़ताल पर बैठे हुए है, वहीं दूसरी तरफ राजधानी चंडीगढ़ में स्वाइन फ्लू का पहला मामला सामने आया है। बता दें कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से मामले की पुष्टि की गई है। कहा जा रहा है कि स्वाइन फ्लू का यह मरीज खुद एक अस्पताल का डॉक्टर है। स्वास्थ्य विभाग की डायरेक्टर डॉ. सुमन सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि स्वाइन फ्लू का मरीज की हालत काबू में है और अस्पताल में डॉक्टर की निगरानी में उनका इलाज चल रहा है।

स्वास्थ्य विभाग की ओर से एडवाइजरी जारी करते हुए कहा गया है कि खांसते समय अपने मुंह और नाक को ढक कर रखें। इसके साथ ही भीड़ में जाते समय मास्क का इस्तेमाल जरूर करें। फ्लू के मरीज से दूरी बनाए रखें और  बुखार आने पर पेरासिटामोल का ही इस्तेमाल करें। ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं, आंख-नाक को अपने हाथों से बार-बार टच न करें। साथ ही बीमार होने पड़ डॉक्टर की सलाह लिए बिना एंटीबायोटिक और दूसरी दवा न लें। सार्वजनिक जगहों पर जानें से बचें।

बता दें कि स्वाइन फ्लू एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है। बताया गया है कि इस बीमारी से पीड़ित मरीजों को बुखार, थकान, भूख न लगना, गले में खराश, दर्द और खांसी की भी शिकायत हो सकती है। इसके अलावा कुछ लोगों को पेट दर्द, उल्टी और दस्त की समस्या भी हो सकती सकती है। यह बीमारी  मरीज के संपर्क में आने से लोगों में फैलती है। साल 2009 में इस बीमारी के आने के बाद, WHO ने स्वाइन फ्लू को साल 2010 में एक महामारी घोषित कर दिया था।

स्वास्थ्य विभाग की डॉ. सुमन सिंह ने इसे लेकर कहा कि लोगों को बुखार, सिर दर्द और खांसी जैसे लक्षणों को देख कर इसका इलाज खुद से नहीं करना चाहिए। क्योंकि वायरल बुखार और फ्लू के लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं। ये समस्या ज्यादा न बढ़ जाए, इसके लिए डॉक्टर की सलाह के बाद ही दवा लें। अगर 3 से 4 दिनों के भीतर बुखार या वायरल संबंधी अन्य लक्षण ठीक नहीं होते तो दोबारा डॉक्टर से संपर्क करें और हो सके तो अपना ब्लड टेस्ट जरूर करवाएं।

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