Indian Railway: RTI से चौंकाने वाली बात पता चली, रेल यात्री कृपया ध्यान दें!

0

ट्रेन के एसी कोच में यात्रा करने के दौरान आपको बेडरोल मिलता है, जिसमें दो चादर, तकिया और कंबल शामिल होता है। इसे लेकर आप आगे की यात्रा आराम से करते हैं। अब क्या कभी सोचा है कि आखिर इन चादरों, कंबस और पिलो कवर को रेलवे कितनी बार धोता है। अगर नहीं पता तो हाल ही में एक RTI यानी सूचना का अधिकार के जरिए इस सवाल का जवाब सामने आ गया है। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की RTI के जवाब के हवाले से बताया है कि यात्रियों को दिया जाने वाला लिनन हर एक इस्तेमाल के बाद धोया जाता है। RTI के जरिए रेलवे ने यह भी बताया है कि ऊन के कंबलों को ‘महीने में कम से कम एक बार या दो बार धोया जाता है। यह इनके उपलब्ध होने और लॉजिस्टिक्स पर निर्भर करता है।’

लंबी दूरी की अलग-अलग ट्रेनों में काम करने वाले हाउसिंग स्टाफ के 20 सदस्यों ने अखबार को बताया कि कंबलों को महीने में सिर्फ एक बार धोया जाता है। एक कर्मचारी ने बताया, ‘हर ट्रिप के बाद हम बैडशीट्स और पिलो कवर्स को बंडल में लॉन्ड्री के लिए दे देते हैं। कंबल के मामले में हम उन्हें ठीक से फोल्ड कर रख देते हैं। हम उन्हें लॉन्ड्री के लिए तब भेजते हैं, जब कोई बदबू आ रही हो या खाने का कोई दाग लगा हो।’ एक अन्य कर्मचारी ने अखबार को बताया, ‘इस बात कोई गारंटी नहीं है कि कंबल महीने में दो बार धोए जाते हैं। अधिकांश मामलों में हम कंबलों को धोने के लिए तभी देते हैं जब उनमें से बदबू, गीलापन आदि जैसी शिकायत होती है। अगर यात्री की तरफ से शिकायत की जाती है तो कुछ मामलों में हम तत्काल यह सुनिश्चित करते हैं कि साफ कंबल मुहैया कराई जाए।’ रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे की तरफ से दिए गए RTI के जवाब में बताया गया है, ‘यह सब रेल के किराये में शामिल होता है। गरीब रथ और दुरंतो जैसी ट्रेनों में टिकट बुक करने के साथ हर किट के हिसाब से चार्ज देकर बेडरोल हासिल किया जा सकता है।’

RAGA NEWS ZONE Join Channel Now

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *