लोकहित सेवा समिति द्वारा महिला संकीर्तन मंडली ढकोली के सहयोग से श्री शिव मन्दिर रेलवे फाटक ढकोली में पित्तर पक्ष में आयोजित
लोकहित सेवा समिति द्वारा महिला संकीर्तन मंडली ढकोली के सहयोग से श्री शिव मन्दिर रेलवे फाटक ढकोली में पित्तर पक्ष में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन वृंदावन धाम से आए राष्ट्रीय संत कथावाचक महामंडलेश्वर योगी हितेश्वरनाथ मिश्रा ने रुक्मणि विवाह का वृतांत सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
समिति की प्रवक्ता भावना चौधरी ने बताया है कि आज कथा में समाजसेवी मुकेश गांधी एडवोकेट तथा पार्षद टोनी राणा मुख्यातिथि रहे, जबकि मीनाक्षी अग्रवाल तथा अनुज अग्रवाल ने यजमान की भूमिका निभाते हुए पूजा अर्चना कर भागवत कथा को आगे बढ़ाया। कथावाचक हितेश्वरनाथ मिश्रा महामंडलेश्वर ने कथा को आगे बढ़ाते हुए बताया कि
विदर्भ देश के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मिणी बुद्धिमान, सुंदर और सरल स्वभाव वाली थीं. पुत्री के विवाह के लिए पिता भीष्मक योग्य वर की तलाश कर रहे थे. राजा के दरबार में जो कोई भी आता वह श्रीकृष्ण के साहस और वीरता की प्रशंसा करता. कृष्ण की वीरता की कहानियां सुनकर देवी रुक्मिणी ने उन्हें मन ही मन अपना पति मान लिया था। रास पंचाध्यायी का सार श्री कृष्ण ने उन्हें पहले तो समझा-बुझाकर अपने घर वापस जाने को कहा, किंतु गोपियाँ अपने निश्चय पर आरूढ़ रहीं और रासक्रीड़ा के लिए कृष्ण से आग्रह करती रहीं। जब गोपियाँ अपने पर लौटने को तैयार नहीं हुई, तो श्री कृष्ण ने आनंद पुलकित मन से मडंलाकार स्थिति होकर उनके साथ रासलीला प्रारंभ की। कंस का अन्त
श्री कृष्ण ने चाणूर को और बलराम ने मुष्टिक को अपने धाम बैकुण्ठ पहुंचाया। उन्हें निजधाम पहुंचने के पश्चात् श्री कृष्ण ने कंस को उसके सिंहासन से उसके केश पकड़ कर उसे घसीटा और उसके भूमि पर गिरते ही श्री कृष्ण ने उसके हृदय पर जोरदार मुक्का मारकर उसके प्राण ले लिए। इस समय श्री कृष्ण की आयु 14से 16 वर्ष थी। आज कथा का समापन रुक्मणि विवाह के साथ हुआ। भागवत कथा को सफल बनाने में मुकेश गांधी, मानविंदर राणा टोनी, अशोक जिन्दल, अनुज अग्रवाल, मीनाक्षी अग्रवाल, नवीन मनचंदा, अलका शर्मा, सतीश भारद्वाज तथा सीमा माथुर का सराहनीय योगदान रहा।