केंद्र सरकार ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए: खरगे

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने महिलाओं के खिलाफ अपराध की हालिया घटनाओं की पृष्ठभूमि में बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कई बार महिला सुरक्षा पर बात कर चुके हैं, लेकिन उनकी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में ऐसा कुछ ठोस नहीं किया जिससे आधी आबादी के खिलाफ अपराधों पर अकुंश लगे।

खरगे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, हमारी महिलाओं के साथ हुआ कोई भी अन्याय असहनीय है, पीड़ादायक है और घोर निंदनीय है। हमें ‘बेटी बचाओ’ नहीं ‘बेटी को बराबरी का हक़ सुनिश्चित करो’ चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं को संरक्षण नहीं, भयमुक्त वातावरण चाहिए।

खरगे ने दावा किया, देश में हर घंटे महिलाओं के ख़िलाफ़ 43 अपराध रिकॉर्ड होते हैं। हर दिन 22 अपराध ऐसे हैं जो हमारे देश के सबसे कमज़ोर दलित-आदिवासी वर्ग की महिलाओं व बच्चों के ख़िलाफ़ दर्ज होते हैं। अनगिनत ऐसे अपराध हैं जो दर्ज ही नहीं होते – डर से, भय से, सामाजिक कारणों के चलते।

उन्होंने आरोप लगाया, प्रधानमंत्री मोदी लाल क़िले से दिए गए अपने भाषणों में कई बार महिला सुरक्षा पर बात कर चुके हैं, पर उनकी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में ऐसा कुछ ठोस नहीं किया जिससे महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों की रोकथाम हो। उल्टा, उनकी पार्टी ने कई बार पीड़ित का चरित्र हनन भी किया है, जो शर्मनाक है। उन्होंने सवाल किया कि हर दीवार पर “बेटी बचाओ” पेंट करवा देने से क्या सामाजिक बदलाव आएगा या सरकारें और क़ानून व्यवस्था सक्षम बनेंगी? कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, क्या हम ऐहतियाती क़दम उठा पा रहे हैं? क्या हमारा आपराधिक न्याय तंत्र सुधरा है? क्या समाज के शोषित व वंचित अब एक सुरक्षित वातावरण में रह पा रहे हैं?

खरगे ने यह सवाल भी किया कि क्या सरकार और प्रशासन ने वारदात को छिपाने का काम नहीं किया है? क्या पुलिस ने सच्चाई छिपाने के लिए पीड़िताओं का अंतिम संस्कार जबरन करना बंद कर दिया है? जब 2012 में दिल्ली में “निर्भया” के साथ वारदात हुई तो न्यायमूर्ति वर्मा कमेटी ने ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए सिफ़ारिशें दी थीं। आज क्या उन सिफ़ारिशों को हम पूर्णतः लागू कर पा रहे हैं?

उन्होंने कहा, संविधान ने महिलाओं को बराबरी का स्थान दिया है। महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध एक गंभीर मुद्दा है। इन अपराधों को रोकना देश के लिए एक बड़ी चुनौती है। हम सबको एकजुट होकर, समाज के हर तबके को साथ लेकर इसके उपाय तलाशने होंगे। खरगे ने जोर देते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है जब हर वह कदम उठाया जाए जिससे महिलाओं के लिए भययुक्त वातावरण सुनिश्चित हो सके।

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