पहलगाम अटैक के बाद हाई अलर्ट पर जम्मू-कश्मीर, स्कूलों में बच्चों को सिखाए जा रहे आतंकी हमले से बचने के तरीके

संघर्ष विराम के उल्लंघन से एलओसी के दोनों तरफ तनाव का माहौल है। संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि कश्मीर में जिला बारामूला, कुपवाड़ा और बांडीपोरा के अलावा जम्मू संभाग में राजौरी व पुंछ जिलों में कई स्कूल एलओसी के आसपास स्थित हैं।
इसलिए बालाकोट (पुंछ), टंगडार और करनाह (कुपवाड़ा), गुरेज-बांडीपोरा और उड़ी (बारामुला) जैसे क्षेत्रों में शैक्षणिक संस्थानों में बंकर निरीक्षण, छात्रों को किसी भी आपात स्थिति से निकालने और उनके बचाव के लिए अभ्यास सत्र आयोजित किए जा रहे हैं।
यह एक सुरक्षा ड्रिल है, जिसमें छात्रों को मजबूत भूमिगत बंकरों में शरण लेने और अचानक गोलाबारी की स्थिति में शांत रहने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।
उड़ी के एक सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल मोहम्मद हनीफ ने कहा कि हम जिस क्षेत्र में रहते हैं, वहां किसी भी समय स्थिति बिगड़ सकती है। हमारे द्वारा किया जाने वाला हर अभ्यास संभावित रूप से जीवन रक्षक होता है। छात्रों को पता है कि स्कूल के समय में गोलाबारी शुरू होने पर कहां भागना है और खुद को कैसे बचाना है।
उन्होंने कहा कि यहां स्कूल परिसर में आसपास कुछ बंकर बनाए गए हैं, जिन्हें अभी तक इस्तेमाल नहीं किया गया था। अब इन्हें अच्छी तरह से साफ किया जा रहा है और उनमें पानी, बुनियादी प्राथमिक चिकित्सा किट और अन्य आवश्यक सामान जमा किया गया है।
जिला पुंछ में बालाकोट, मेंढर और मनकोट के स्कूलों में भी नियमित रूप से माक ड्रिल आयोजित की जा रही हैं। शिक्षक प्राथमिक चिकित्सा, बंकर सुरक्षा और तेजी से निकासी पर सत्रों का नेतृत्व कर रहे हैं।
एक वरिष्ठ जिला अधिकारी ने कहा कि ज्यादा जोखिम वाले क्षेत्रों में सभी स्कूलों को अलर्ट पर रहने और स्थानीय आपदा प्रतिक्रिया टीमों के साथ मिलकर काम करने का निर्देश दिया गया है।
ये अभ्यास बेहद महत्वपूर्ण कुपवाड़ा के करनाह में शिक्षक मोहम्मद आसिफ खटाना ने कहा कि हम इन छोटे बच्चों को समझाते हैं कि कैसे दोड़ना है, कैसे किसी दीवार के पीछे छिपना है, इसका उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा, गोलाबारी बिना किसी चेतावनी के शुरू हो सकती है। ये अभ्यास यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं कि हमारे बच्चे जल्दी और कुशलता से सुरक्षित रह सकें।