Emergency: ‘इमरजेंसी’ को बॉम्बे हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, निराश कंगना रनौत ने किया पोस्ट- ‘मैं टारगेट पर हूं’
बॉलीवुड अभिनेत्री और हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले से लोकसभा सदस्य कंगना रनौत को अपनी फिल्म ‘इमरजेंसी’ देखने के लिए अभी दर्शकों को और इंतजार करना होगा। क्योंकि, इस मामले पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया है। 4 सितंबर को बॉम्बे हाई कोर्ट ने फिल्म के को-प्रोड्यूसर जी स्टूडियो की याचिका पर सुनवाई की और कहा कि वह सीबीएफसी को प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में कोई भी निर्देश नहीं दे सकता, क्योंकि पहले ही मध्य प्रदेश की कोर्ट ने सेंसर बोर्ड को जबलपुर सिख संगत द्वारा दर्ज चिंताओं पर निर्णय लेने का आदेश दे दिया है।
यानी इमरजेंसी को अभी सर्टिफिकेट के लिए और इंतजार करना होगा। फिल्म के निर्माताओं ने अपनी फिल्म के लिए सर्टिफिकेशन की मांग करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील की थी। बॉम्बे HC ने अपने फैसले में कहा कि वह CBFC (सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन) को सर्टिफिकेट देने का निर्देश नहीं दे सकता क्योंकि यह MP हाई कोर्ट के फैसले का खंडन करेगा। एमपी कोर्ट ने सेंसर बोर्ड को उन सिख समूहों के अभ्यावेदन को सुनने का निर्देश दिया, जिन्होंने उसके समक्ष याचिकाएं दायर की थीं। अदालत ने अनुरोध किया कि सीबीएफसी 18 सितंबर तक अपना फैसला सुनाए, अगली सुनवाई 19 सितंबर को होगी।
कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ की रिलीज के लिए ज़ी एंटरटेनमेंट की एक तत्काल याचिका पर सुनवाई करते हुए, बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा – “इन समूहों (सिख समूहों) को बिना देखे कैसे पता चल सकता है कि एक फिल्म कुछ लोगों को परेशान कर रही है? शायद यह एक ट्रेलर पर आधारित थी। इसके अलावा, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सीबीएफसी को सिख समहूों की चिंताओं को दूर करने का निर्देश दिया है। अगर हम (बॉम्बे उच्च न्यायालय) उन्हें एक प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश देते हैं, हम उनसे एक अन्य उच्च न्यायालय के फैसले का उल्लंघन करने के लिए कहेंगे, “हमें मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करना चाहिए।”
फिल्म को राहत ना मिलने पर कंगना रनौत भी काफी निराश हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के बाद कंगना रनौत ने एक लंबा-चौड़ा पोस्ट शेयर किया है, जिसमें उनका कहना है कि वह सबके टारगेट पर हैं। कंगना ने अपने पोस्ट में लिखा- ‘आज मैं हर किसी की पसंदीदा टारगेट बन गई हूं, यह वह कीमत है जो आप इस सोते हुए राष्ट्र को जगाने के लिए चुकाते हैं, वे नहीं जानते कि मैं किस बारे में बात कर रही हूं। उन्हें पता नहीं है कि मैं इतना चिंतित क्यों हूं, क्योंकि वे शांति चाहते हैं, वे नहीं चाहते हैं पक्ष लेना। हा हा, काश सीमा पर उस गरीब सैनिक को भी शांत रहने का समान विशेषाधिकार मिलता, काश उसे किसी का पक्ष न लेना पड़ता, और पाकिस्तानियों/चीनियों को अपना दुश्मन नहीं मानना पड़ता। वह आपकी रक्षा कर रहा है जबकि आप आतंकवादियों या राष्ट्र-विरोधियों पर लालसा रख सकते हैं।’