चंडीगढ़ में नाइट क्लबों पर कसा जाएगा शिकंजा: शोर शराबे पर निगरानी के लिए नए पोर्टल पर दर्ज होगी शिकायत

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चंडीगढ़ में देर रात तक चलने वाले डीजे, तेज म्यूजिक और क्लबों से उठती आवाज़ें अब केवल चर्चा का विषय नहीं रहीं। स्थानीय निवासियों की बढ़ती शिकायतों और अदालत के निर्देशों के बाद प्रशासन ने ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ कमर कस ली है। न सिर्फ कार्रवाई तेज की गई है, बल्कि शोर-शराबे पर निगरानी के लिए अब एक नया पोर्टल भी तैयार किया गया है, जिसके माध्यम से नागरिक आसानी से अपनी शिकायतें दर्ज कर सकेंगे। प्रशासन के अनुसार यह नया नॉयज पॉल्यूशन कंप्लेंट मैनेजमेंट पोर्टल जल्द ही आम जनता के लिए लॉन्च किया जाएगा। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह होगी कि लोग सीधे इस प्लेटफॉर्म पर शिकायत दर्ज कर पाएंगे, और संबंधित क्षेत्र के एसडीएम स्तर पर इन मामलों की निगरानी व कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

 

 

 

साथ ही, यह शिकायत पुलिस विभाग को भी भेजी जाएगी ताकि अगर स्थिति बिगड़े, तो तुरंत हस्तक्षेप किया जा सके। इस पोर्टल के माध्यम से नागरिक तेज आवाज में चल रही पार्टी, तय समय के बाद भी बज रहे लाउड म्यूजिक, बिना अनुमति के इस्तेमाल हो रहे लाउडस्पीकर और डिस्कोथेक या क्लबों से आ रही तेज़ आवाज़ को लेकर शिकायत कर सकेंगे। अभी तक ऐसी शिकायतें सिर्फ पुलिस के पास पहुंचती थीं, लेकिन अब निगरानी और जवाबदेही का दायरा बढ़ाया गया है। प्रशासन अब शोर की समस्या को तकनीकी ढंग से समझने की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है। चंडीगढ़ पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी की मदद से शहर में जोन वाइज नॉयज पॉल्यूशन मैपिंग की योजना बनाई जा रही है। इस मैपिंग के ज़रिए यह पता लगाया जाएगा कि दिन के किन घंटों में और किस इलाके में ध्वनि का स्तर तय सीमा से अधिक रहता है। इससे आगे चलकर योजनाएं बनाना और नियमों को लागू करना अधिक प्रभावी होगा।

 

 

 

आठ क्लबों के शराब लाइसेंस हुए थे रद्द, छह को मिली थी चेतावनी

 

ध्वनि प्रदूषण को लेकर प्रशासन की सख्ती सिर्फ कहने भर तक सीमित नहीं रही। पिछले कुछ दिनों में शहर के आठ नाइट क्लबों के शराब परोसने के लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं। इन पर आरोप है कि ये बार-बार ध्वनि प्रदूषण (रेगुलेशन एंड कंट्रोल) नियम, 2000 का उल्लंघन कर रहे थे। इन क्लबों में से छह सेक्टर 26 और दो सेक्टर 7 के हैं, जो शॉप-कम-ऑफिस परिसरों के पीछे संचालित हो रहे थे। आरोप है कि ये क्लब देर रात तक निर्धारित डेसिबल से कहीं अधिक आवाज़ में म्यूजिक बजाते थे, जिससे आसपास रहने वाले लोगों को भारी परेशानी हो रही थी।

 

 

 

एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग ने पंजाब एक्साइज एक्ट, 1914 की धारा 36(सी) के तहत कार्रवाई करते हुए ये लाइसेंस रद्द किए हैं। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नियमों की अनदेखी अब किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रशासन ने जहां आठ क्लबों के लाइसेंस रद्द किए, वहीं छह अन्य क्लबों को नोटिस भेजकर चेताया गया है कि अगर आगे से नियमों का उल्लंघन हुआ, तो उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ये छह क्लब भी मुख्य रूप से सेक्टर 26 और सेक्टर 7 के मध्य मार्ग पर स्थित है, जहां पहले भी कई बार ध्वनि प्रदूषण को लेकर शिकायतें आ चुकी हैं।

 

 

 

क्या कहते हैं नियम?

 

ध्वनि प्रदूषण (रेगुलेशन एंड कंट्रोल) नियम, 2000 के तहत सार्वजनिक स्थानों पर ध्वनि का स्तर तय सीमा से अधिक नहीं होना चाहिए। नियम के अनुसार, किसी भी सार्वजनिक स्थल पर लाउडस्पीकर या अन्य ध्वनि स्रोत से उत्पन्न आवाज़, निर्धारित सीमा से अधिकतम 10 डेसिबल तक ही जा सकती है। इससे अधिक आवाज़ पर न केवल कार्रवाई की जा सकती है, बल्कि संबंधित इकाई का संचालन भी रोका जा सकता है।

 

 

 

 

 

बिल्डिंग वायोलेशन पर भी प्रशासन का शिकंजा

 

ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई के साथ-साथ अब चंडीगढ़ प्रशासन ने बिल्डिंग वायोलेशन को लेकर भी सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। सेक्टर-26 स्थित एक नाइट क्लब को हाल ही में यूटी एस्टेट ऑफिस की टीम ने सील कर दिया। क्लब द्वारा रेस्टोरेंट के पीछे बने खुले हिस्से पर छत डाल दी गई थी, जबकि बिल्डिंग बायलॉज़ के तहत यह हिस्सा खुला रहना अनिवार्य है। प्रशासन ने इस उल्लंघन पर पहले से नोटिस जारी किया था, लेकिन तय समय में सुधार नहीं किया गया। ऐसे में जीरो टॉलरेंस नीति के तहत कार्रवाई करते हुए क्लब को सील कर दिया गया। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि अब शहर में जीरो टॉलरेंस नीति के तहत ऐसे किसी भी बिल्डिंग वायोलेशन को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। क्लब, बार और रेस्टोरेंट्स को पहले ही चेताया जा चुका है कि अगर उन्होंने बिल्डिंग बायलॉज़ का पालन नहीं किया तो सीधे सीलिंग की कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों के मुताबिक आने वाले दिनों में चार से पांच और नाइट क्लब व रेस्टोरेंट्स के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है।

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