चंडीगढ़ साइबर पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट करने वाले गिरोह का किया भंडाफोड़, 10 साइबर ठग गिरफ्तार, विदेश से जुड़े हैं तार

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चंडीगढ़ पुलिस ने एक बड़े डिजिटल ठग गिरोह का पर्दाफाश किया है. साइबर सेल की टीम ने 1.01 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इनके पास से 6 सिम बॉक्स, 400 सिम कार्ड और लैपटॉप-मोबाइल फोन भी बरामद किए गए हैं. ये लोग फर्जी पहचान बनाकर लोगों को ऑनलाइन डराते थे और उनसे पैसे ऐंठते थे. विदेशों से कॉल करने के लिए ये सिम बॉक्स का गलत इस्तेमाल करते थे और फ्रॉड किए पैसों को विदेशों में भेजे थे.

हर माह 1 हजार करोड़ का नुकसान: पुलिस जांच में पता चला कि यह गिरोह सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी लोगों को निशाना बना रहा था. इससे देश को हर महीने करीब 1 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा था. इस ऑपरेशन में डीएसपी वेंकटेश और साइबर सेल की इंचार्ज इंस्पेक्टर इरम रिजवी की अहम भूमिका रही. आरोपियों पर बीएनएस 2023 की कई धाराओं में केस दर्ज किया गया है.

महिला से 1 करोड़ का फ्रॉड: चंडीगढ़ साइबर एसपी गीतांजलि खंडेलवाल ने बताया कि ये डिजिटल स्कैम का मामला है, जो कि सीनियर सिटीजन महिला के साथ किया गया है. महिला को 1 करोड़ रुपये देने के बाद ठगी का एहसास हुआ है. जिसके बाद मामले की सूचना पुलिस को दी गई. महिला को कॉल आ रही थी तो पुलिस ने कॉल करने वाले आदमी का चेहरा वीडियो में रिकॉर्ड कर लिया.

फ्रॉड की मास्टर टेक्निक्स: एसपी ने बताया कि इस मामले में अन्य फ्रॉड के मुकाबले खास बात ये रही कि इस स्कैम में वीओआईपी कॉल्स थे और कंबोडिया से किए जा रहे थे. जबकि पीड़िता के मोबाइल पर भारतीय नंबर रिफ्लेक्ट हो रहा था. टेक्निकल जांच करने के बाद पता चला कि पीड़िता को जिस नंबर से कॉल आ रही थी, वह पंजाब के लुधियाना से एक्टिवेट हुआ था.

एक साथ लाखों लोगों को कॉल: जांच करने पर पता चला है कि एक मोबाइल डिवाइस (आईएमआई नंबर) से करीब 180 सिम कार्ड चलाए जा रहे थे. इससे टेलीकॉम सिस्टम के बड़े दुरुपयोग का खुलासा हुआ है. ये ऑटोमेटिक कॉल्स हैं. सिम बॉक्स में 32 सिम एक साथ लगाए जाते हैं, एक दिन में एक सिम बॉक्स से 1500 कॉल्स करने की क्षमता है यानी एक सिम बॉक्स से एक साथ 2 लाख कॉल्स हो रही है.

वर्क फ्रॉम होम से सावधान!: जांच से पता चला कि आरोपियों ने इंटरनेशनल VIOP कॉल को स्थानीय कॉल में बदलने के लिए सिम बॉक्स तकनीक का इस्तेमाल किया. इस डिवाइस से रोजाना एक साथ 2 लाख कॉल करने की क्षमता है. फेसबुक और टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के ज़रिए भारतीय युवाओं को घर बैठे इन सिम बॉक्स को चलाने के लिए लालच दिया जाता है और बदले में उन्हें छोटी-छोटी रकम दी जाती है. इसका लालच वर्क फ्रॉम होम के नाम से भी युवाओं को दिया जाता है.

निशाने पर भारतीय नागरिक: पुलिस ने बताया कि फर्जी डिजिटल अरेस्ट के जरिए भारतीय नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है. घोटालेबाजों ने ट्राई, सीबीआई के अधिकारियों के रूप में संचालित आईवीआर कॉल का इस्तेमाल किया है. उसके बाद फर्जी पुलिस स्टेशन दिखाते हुए व्हाट्सएप वीडियो कॉल किए और पीड़िता को मनी लॉन्ड्रिंग या आपराधिक जांच के बहाने अपनी बचत को फर्जी खातों में ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया जाता था. ये फ्रॉड कंबोडिया, हांगकांग, लाओस और म्यांमार समेत अन्य देशों से संचालित किया जा रहा था.

10 आरोपी गिरफ्तार: साइबर क्राइम एसपी गीतांजलि खंडेलवाल ने बताया कि पुलिस ने 24 जुलाई से 31 जुलाई के बीच में कई जगह पर छापेमारी की है. जिसके चलते 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. जिनमें परवेज चौहान (33), शुभम मेहरा (25), सुहैल अख्तर (35), कृष्ण साह (21), विजय कुमार (22), विकास कुमार (22), अजीत कुमार (22), विपिन कुमार (22), सरोज कुमार (19) और अभिषेक कुमार (19) शामिल हैं.

पुलिस जांच में मानव तस्करी का भी एंगल: इस केस से एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. दरअसल, पुलिस जांच में पता चला है कि भारतीय युवाओं को फर्जी नौकरी का लालच देकर कंबोडिया, लाओस और म्यांमार ले जाया गया. जहां उन्हें डिजिटल गिरफ्तारी के घोटाले करने के लिए मजबूर किया गया. इसलिए पुलिस मानव तस्करी के एंगल से भी मामले की जांच कर रही है. इसमें फर्जी बायोमेट्रिक भी इस्तेमाल किये जा रहे हैं. इसलिस जांच में पता चला है कि ये सिम बॉक्स चाइना से आ रहे हैं और चाइना कंपनी की ही मैन्युफैक्चरिंग है.

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