पंजाब-हरियाणा जल विवाद में पंजाब सरकार को बड़ा झटका, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका, दिया ये आदेश

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पंजाब और हरियाणा के बीच भाखड़ा व्यास प्रबंधन बोर्ड से जुड़े जल विवाद में पंजाब सरकार को बड़ा झटका लगा है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें हरियाणा को पानी छोड़ने का निर्देश देने से संबंधित छह मई के उसके आदेश को वापस लेने या उसमें संशोधन करने का अनुरोध किया गया था। हाईकोर्ट ने 26 मई को पंजाब सरकार की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। पंजाब ने हाईकोर्ट से छह मई को उसके आदेश को वापस लेने या उसमें संशोधन करने का अनुरोध किया था।

 

क्या है मामला?

हाईकोर्ट ने पंजाब को केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन के दो मई के फैसले के अनुसार हरियाणा को 4,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने छह मई को पंजाब को निर्देश दिया था कि वह दो मई को केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक के फैसले का पालन करे। पंजाब ने केंद्र, हरियाणा और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) पर ‘महत्वपूर्ण तथ्यों’ को छिपाने का आरोप लगाया था, जिसके कारण छह मई को हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया। शनिवार को चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुमित गोयल की खंडपीठ ने पंजाब सरकार की याचिका खारिज कर दी।

पंजाब राज्य के इस दावे का हवाला देते हुए कि दो या दो से अधिक राज्यों के बीच पानी से संबंधित विवाद संविधान के अनुच्छेद 262 से उत्पन्न होते हैं, जिसके अनुसार अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 लागू होता है, कोर्ट ने कहा, “केवल इसलिए कि इस न्यायालय ने माना है कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 संविधान के अनुच्छेद 262 (1) का एक उदाहरण है, आदेश को वापस लेने/संशोधित करने के पंजाब राज्य के प्रयास में किसी भी तरह से मदद नहीं करता है, जब तक कि पंजाब राज्य यह साबित न कर दे कि इस त्रुटि के कारण उसे कोई पूर्वाग्रह हुआ है। इस मामले में ऐसा नहीं हुआ है।”

 

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