झारखंड में सभी प्राइवेट स्कूलों की बढ़ने वाली है मुश्किलें, हेमंत सरकार के पास पहुंची चिट्ठी

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तीन वर्ष पूर्व जारी सरकारी गाइडलाइन में कहा गया था कि निजी स्कूल बिना अनुमोदन के 10 प्रतिशत से अधिक शुल्क नहीं बढ़ा सकते हैं। इसे लेकर हरेक स्कूल में शुल्क निर्धारण समिति का गठन भी किया गया था और पहले चरण में रांची और बोकारो जिला में समिति का गठन किया गया। 

वर्तमान स्थिति यह है कि अब तक इन दो जिलों को छोड़ बाकी 22 जिलों में समिति का गठन तक नहीं हो पाया है। प्रशासनिक शिथिलता का निजी स्कूल प्रबंधन भरपूर लाभ उठाते हैं। शहर के कई ऐसे निजी स्कूल हैं जहां शुल्क वृद्धि को लेकर मनमानी की जा रही है। 

एडमिशन शुल्क से लेकर अन्य गतिविधियों का हवाला देकर शुल्क में वृद्धि की जा रही है। सरकारी नियमानुसार निजी स्कूल 10 प्रतिशत तक ही शुल्क बढ़ा सकते हैं। जबकि कई स्कूलों में यह राशि 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ाई गई हैं।

यह शुल्क एनुअल चार्ज, बिल्डिंग चार्ज, मिसलिनियस चार्ज, कंप्यूटर चार्ज, गेम्स चार्ज, सिक्योरिटी चार्ज, सीसीटीवी चार्ज, स्कूल चार्ज, एसएमएस चार्ज, मेडिकल चार्ज, आउटरिच चार्ज और डेवलपमेंट चार्ज को दर्शाकर लिया जा रहा है।
इसे लेकर झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय राय ने कहा मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में बताया गया कि झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण में वर्षों से आयोग के अध्यक्ष मेंबर के बहाल नहीं होने से अभिभावकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
इसके गठन की मांग के साथ-साथ झारखंड शिक्षा संशोधन अधिनियम 2017 को पूरे तरीके से राज्य के सभी जिलों के प्राइवेट स्कूलों में लागू कराए जाने की मांग भी की गई। अगर शुल्क में बढ़ोतरी की जा रही है तो उसकी अनुशंसा जिला कमेटी के पास की जाएगी। जिसके अध्यक्ष संबंधित जिले के उपायुक्त होते हैं। इसके बाद भी राजधानी में निजी स्कूल मनमाने तरीके से शुल्क में वृद्धि कर अधिनियम की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
यही नहीं कई स्कूल तो दस माह के बदले 12 माह का बस किराया लेते हैं। जबकि गर्मी और सर्दियों की छुट्टियों के दौरान छात्रों से पैसा नहीं लिया जाना है। नियम है कि बस की सेवा जब तक मिलेगी तब तक ही छात्रों से शुल्क लिया जा सकता है। 10 माह सेवा देने वाले 12 माह का पैसा नहीं वसूलेंगे। सूत्रों की माने तो रांची जिले में 100 से अधिक ऐसे निजी स्कूल ऐसे हैं, जहां बस की सेवा ली जा रही है।

  •  सभी निजी स्कूलों में झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 को पूर्णतः लागू कराया जाए
  •  झारखंड सरकार द्वारा जारी नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) का पालन पूरी तरह किया जाए, जिसके तहत स्कूल नो प्राफिट नो लास का बैलेंस शीट (सीए द्वारा जारी किया गया प्रत्येक वर्ष का लेखा-जोखा) हर वर्ष सरकार को उपलब्ध कराएं
  • कोई भी विद्यालय शिक्षण शुल्क के कारण बच्चों को क्लास से वंचित न करें
  •  अपने ही विद्यालय के छात्रों को अगली कक्षा में अथवा किसी कक्षा में री-एडमिशन, डेवलपमेंट चार्ज, एनुअल फीस लेना बंद करने का निर्देश देते हुए उनसे वर्तमान सत्र एवं विगत सत्र में वसूली गई राशि वापस कराने का संकल्प जारी किया जाए
  •  सीबीएसई, आइसीएसई, राज्य बोर्ड द्वारा निर्धारित गाइडलाइंस को विद्यालय अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना सुनिश्चित करें।

कुछ पैरेंट्स ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा किताबों की बढ़ी कीमत और फीस में बढ़ोत्तरी को प्रतिवर्ष झेलना पड़ता है। स्कूल प्रबंधन की मनमानी के कारण हमलोगों की परेशानी बढ़ गई है। किताब लेने के लिए भी कमीशन का खेल चल रहा है। इनके द्वारा तय दुकानों से ही किताबों की खरीदारी करनी पड़ती है। 

एनसीईआरटी की जगह प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबें चलाई जा रही हैं। जिसकी कीमत कहीं अधिक होती है। वहीं एकाध दिन स्कूल आने में भी लेट हो जाए तो स्कूल प्रबंधन फाइन लेने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। इन चीजों पर जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग को ध्यान देना चाहिए।

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