क्या बीजेपी सरकार बनी रहेगी या राष्ट्रपति शासन पर विचार, हरियाणा में कौन सी खिचड़ी पक रही है?
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हरियाणा में नायब सिंह सैनी की सरकार संकट में है. 3 निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने से मुख्यमंत्री सैनी की सत्ता पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. कांग्रेस का दावा है कि सरकार अल्पमत में है. इसके साथ ही जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला ने भी अपना पत्ता खोल दिया है. उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस सरकार गिराने के लिए आगे बढ़ेगी तो हम बाहर से समर्थन देंगे. उधर, सीएम नायब सिंह सैनी का कहना है कि हरियाणा सरकार को कोई दिक्कत नहीं है. सरकार पूरी ताकत से काम कर रही है.
सत्ता पक्ष और विपक्षी दल अपने-अपने दावे कर रहे हैं लेकिन अब सवाल ये उठता है कि 3 विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद सरकार कब तक टिकेगी. क्या वह अक्टूबर तक अपना कार्यकाल पूरा करेंगी या राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने पर भी विचार किया जाएगा, जैसा कि कांग्रेस ने मांग की है. राज्य में राजनीतिक परिदृश्य में तेजी से बदलाव ऐसे समय में आ रहा है जब लोकसभा चुनाव में 15 दिन से भी कम समय बचा है और विधानसभा चुनाव अक्टूबर में प्रस्तावित हैं।
राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए
रोहतक लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, ‘हरियाणा में बीजेपी सरकार आज अल्पमत में आ गई है. इस गठबंधन के टूटने के बाद वे (बीजेपी) राज्यपाल के पास गए और 48 विधायकों की सूची सौंपी. लोकसभा चुनाव लड़ रहे 48 विधायकों में से दो रणजीत सिंह चौटाला और मनोहर लाल खट्टर ने इस्तीफा दे दिया है. बीजेपी का आंकड़ा 42 ही रह गया है. नायब सिंह की सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। उन्हें नैतिक आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाकर निष्पक्ष तरीके से दोबारा चुनाव कराना चाहिए.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता अनिल विज ने कहा है कि इच्छा पूरी नहीं होने वाली है. हरियाणा में ट्रिपल इंजन की सरकार है जो इस पूरे मामले पर नजर रखे हुए है जिसके इंजन नरेंद्र मोदी, मनोहर लाल और नायब सैनी हैं. कांग्रेस के पास कोई इंजन ही नहीं है.
विधानसभा अध्यक्ष ने क्या कहा?
हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि सैनी सरकार ने 13 मार्च को विश्वास मत जीत लिया था. हम कैसे कह सकते हैं कि सरकार अल्पमत में है? यह बरकरार है और पहले की तरह काम कर रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है, अध्यक्ष ने कहा, आम तौर पर जब अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है, तो छह महीने के बाद ही दूसरा प्रस्ताव लाया जा सकता है। ये एक तकनीकी मामला है.
विधायी संख्या का खेल
हरियाणा में 90 विधानसभा सीटें हैं. दो विधायक इस्तीफा देकर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, जिसके बाद सदन में विधायकों की संख्या 88 हो गई है. बहुमत का आंकड़ा घटकर 45 रह गया है. बीजेपी के पास 40 विधायक हैं. उन्हें 2 निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है. बीजेपी को हरियाणा लोकहित पार्टी के विधायक गोपाल कांडा का भी समर्थन प्राप्त है. फिलहाल बीजेपी के पास 43 विधायकों का समर्थन है.
विपक्ष की बात करें तो कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं. सरकार से समर्थन वापस लेने वाले 3 निर्दलीय विधायक भी कांग्रेस के साथ हैं. ऐसे में कांग्रेस के पास कुल 33 विधायकों का समर्थन है. जेजेपी के पास 10 विधायक हैं. इसके अलावा अभय चौटाला की पार्टी INIL के पास 1 विधायक और 1 निर्दलीय विधायक है. ये विधायक न तो सत्ता पक्ष के साथ हैं और न ही विपक्ष के साथ.
इस साल मार्च में मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी मुख्यमंत्री बने और चुनाव के साढ़े चार साल बाद जेजेपी का बीजेपी के साथ साढ़े चार साल का गठबंधन खत्म हो गया. हरियाणा में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं जबकि करनाल विधानसभा के लिए उपचुनाव 25 मई को होंगे और राज्य की 10 लोकसभा सीटों पर मतदान होगा. मौजूदा लोकसभा में कुरूक्षेत्र से सांसद सैनी विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार हैं और अगर वह जीतते हैं तो विधानसभा में पार्टी सदस्यों की संख्या बढ़कर 41 हो जाएगी।