हरियाणा की सभी 10 सीटों पर जीत का रिकार्ड कायम रखना भाजपा के लिए आसान ही नहीं, बल्कि न मुमकिन

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हरियाणा की सभी 10 सीटों पर जीत का रिकार्ड कायम रखना भाजपा के लिए आसान ही नहीं, बल्कि न मुमकिन

 

चंडीगढ़ ;- हरियाणा की सभी 10 सीटों पर जीत का रिकार्ड कायम रखना भाजपा के लिए न सिर्फ आसान है बल्कि न मुमकिन भी है। मतलब यह है कि प्रदेश की जनता हरियाणा में कांग्रेस को वोट नही देना चाहती बल्कि भाजपा को हराना चाहती है। हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर से निपटना भाजपा सरकार के लिए दूसरी बड़ी चुनौती बनी हुई है। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व जान चुका था इसलिए न सिर्फ सीएम खट्टर को बदला, बल्कि करनाल और कुरुक्षेत्र लोकसभा से उम्मीदवार बदल कर नाराजगी दूर करने। की कोशिश की है। जबकि 2019 के चुनाव में भाजपा ने इन दोनों सीटों पर रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी। पार्टी ने करनाल लोकसभा से पूर्व सीएम मनोहर लाल को मैदान में उतारा है। कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से परिणाम अच्छे न आने की उम्मीद के कारण नवीन जिंदल को चुनावी रथ पर सवार किया है। हालांकि अब देखना होगा कि चेहरा बदलने से सत्ता विरोधी लहर को कम करने में भाजपा पार्टी को कितनी कामयाबी मिलती है। वहीं, अंबाला लोकसभा सीट पर भाजपा बंतो कटारिया को उतारकर स्व. सांसद रतनलाल कटारिया की सहानुभूति लेने की कोशिश में जुटी है। भाजपा के सामने अपने 2019 के प्रदर्शन को बरकरार रखना भी एक चुनौती बनी हुई है। दरअसल पांच महीने बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं। पार्टी का लोकसभा में जैसा भी प्रदर्शन होगा, उसका सीधा असर विधानसभा में पड़ना तय है। इसीलिए भाजपा ने 2024 में राज्य की सभी दसों लोकसभा सीट पर कमल खिलाने का लक्ष्य तय कर रखा है। पार्टी को पता है कि यदि वह लोकसभा की सभी सीटों पर जीत दर्ज करती है तो विधानसभा चुनाव का रास्ता उसके लिए आसान हो जाएगा। मगर जिस तरह का सियासी मिजाज है उसमें भाजपा के लिए दसों सीटों पर प्रदर्शन दोहराना आसान नहीं दिख रहा है।

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