अखिलेश यादव ने बीजेपी-कांग्रेस-बसपा से आए नेताओं पर जताया भरोसा, क्या संसद पहुंच पाएंगे ये नेता

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यूपी में 19 अप्रैल को पहले फेज की वोटिंग होने वाली है. इस मतदान से जहां एक तरफ भारतीय जनता पार्टी अपने उम्मीदवारों को लेकर काफी स्पष्ट नजर आ रही है तो वहीं सपा अभी भी मैदान में उतारे गए प्रत्याशियों पर भरोसा नहीं कर पा रही है. यही कारण है कि अखिलेश बार-बार घोषित प्रत्याशी बदल रहे हैं.

सपा के बार-बार घोषित उम्मीदवार के बदलने से ये तो साफ हो गया कि चुनाव में पार्टी ज्यादा से ज्यादा सीटें अपने नाम करना चाहती है और इसके लिए सही प्रत्याशी ढूंढने में मेहनत भी कर रही है. दिलचस्प बात ये है कि सपा ने कई ऐसे लोगों को तवज्जों दी है जो दूसरे दलों से आए हैं.

ऐसे में इस रिपोर्ट में उन सीटों के बारे में जानते हैं जहां अखिलेश यादव ने बसपा , कांग्रेस और बीजेपी से आए नेताओं पर भरोसा जताते हुए उन्हें किन सीटों पर मैदान में उतारा है.. 

डुमरियांगज: इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने बाहुबली हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे भीष्‍म शंकर उर्फ कुशल तिवारी को मैदान में उतारा है. साल 2009 में भीष्म शंकर तिवारी बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव में जीत हासिल कर संसद पहुंच चुके हैं. इस साल उनका मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के शरद त्रिपाठी से हुआ था. जहां कुशल तिवारी ने लगभग 30 हजार वोटों से बीजेपी को हराया था.

हालांकि 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी के शरद त्रिपाठी ने भीष्‍म शंकर तिवारी को हराकर बदला ले लिया. अब साल 2024 में एक बार फिर भीष्म मैदान में उतरे तो हैं लेकिन इस बार वह सपा से प्रत्याशी है.

श्रावस्‍ती: इस सीट पर अखिलेश ने वर्तमान सांसद राम शिरोमणि वर्मा को मैदान में उतारा है. शिरोमणि वर्मा 2019 चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के तहत बसपा के प्रत्‍याशी रह चुके हैं. उन्‍होंने उस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उस वक्त के सांसद दद्दन मिश्रा को मात दी थी.

बसपा ने इसी साल 23 मार्च को अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए राम शिरोमणि वर्मा और उनके भाई राम सुरेश वर्मा को अपनी पार्टी से निष्‍कासित कर दिया था. इसके बाद उन्होंने सपा का हाथ थाम लिया और अब अखिलेश यादव ने उन पर भरोसा जताते हुए चुनाव में लड़ने के लिए टिकट भी दिया है.

गाजीपुर: इस सीट पर साल 2019 में बसपा के टिकट पर माफिया मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी ने जीत दर्ज की थी, लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में अफजल अंसारी समाजवादी पार्टी के पाले में आ गए हैं और पार्टी ने उन्हें इसी सीट से मैदान में उतार भी दिया है.

माना जा रहा है कि इस सीट पर अफजाल अंसारी बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकते हैं. अफजाल अंसारी अब तक 10 बार चुनावी मैदान में उतर चुके हैं जिसमें से सात बार उन्हें जीत मिली है. पांच बार विधायक और दो बार सांसद रहे हैं.

जौनपुर: इस सीट पर सपा ने बाबू सिंह कुशवाहा को टिकट दिया है. बाबू मायावती सरकार में मंत्री रह चुके है. उन्हें बसपा से साल 2011 में बाहर कर दिया था उस वक्त उन्होंने पार्टी से बगावत कर दी थी.

बाबू सिंह कुशवाहा को एक समय में मायावती के करीबी नेताओं में गिना जाता था. उन्हें पहली बार साल 1997 में विधान परिष्‍ज्ञद सदस्य बनाया गया था. इसके बाद साल 2003 बसपा सरकार में कुशवाहा को पंचायती राज मंत्री भी बनाया गया था.

मोहनलालगंज: समाजवादी पार्टी ने मोहनलाल सीट से आरके चौधरी को मैदान में उतारा है. चौधरी ने अपनी राजनीतिक करियार की शुरुआत ही बसपा से की थी. वह बसपा सरकार में ही दो बार मंत्री भी रह चुके है. आरके चौधरी को कांशीराम के बेहद करीबी भी कहा जाता है.

जिस सीट से उन्हें सपा ने उम्मीदवार बनाया है वहां से वह 3 बार मैदान में उतर चुके हैं हालांकि उन्हें तीनों बार हार का सामना करना पड़ा है. आरके चौधरी साल 2019 में कांग्रेस में शामिल हो गए थे, जिसके बाद उन्होंने अखिलेश के साथ जाने का फैसला किया और सपा में शामिल हो गए.

सलेमपुर: इस सीट से सपा ने रमाशंकर राजभर को मैदान में उतारा है. राजभर 2009 में बहुजन समाज पार्टी से सांसद रह चुके है. 2017 में उन्होंने बसपा का साथ छोड़ सपा में शामिल होने का फैसला लिया था. उस चुनाव में उन्होंने तत्कालीन सांसद हरिकेवल प्रसाद को हराया था.

कांग्रेस से आए नेताओं पर जताया भरोसा

लोकसभा चुनाव में सिर्फ बसपा ही नहीं बल्कि कांग्रेस और बीजेपी से आए नेताओं को भी सपा ने टिकट दिया है. मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से हरेंद्र मलिक मैदान में उतर रहे हैं. हरेंद्र पहले कांग्रेस में थे लेकिन 2022 चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ सपा का हाथ थामा था.

इसके अलावा उन्नाव लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी ने अनु टंडन को टिकट दिया है. टंडन भी कांग्रेस से सपा में आई हैं. इसके अलावा पार्टी ने एटा से देवेश शाक्य को उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा है, देवेश भारतीय जनता पार्टी छोड़कर समाजवादी पार्टी में आए हैं.

ठीक इसी तरह बांदा से शिवशंकर सिंह पटेल को टिकट दिया है, जो कि पहले भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा थे. आंवला लोकसभा सीट पर भी सपा ने बीजेपी से आए हुए नीरज मौर्य पर भरोसा जताया है.

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