सीएम सुक्खू ने हिमाचल कैबिनेट का किया विस्तार, इन दो लोगों को बनाया गया मंत्री
शिमला: हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाले एक साल पुराने मंत्रिमंडल का मंगलवार को विस्तार किया गया। इसमें राजेश धर्माणी और यादवेंदर गोमा को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल किया गया। सुक्खू ने कहा कि जातिगत और क्षेत्रीय संतुलन को साधने के प्रयास किए गए हैं और मंडी जिले के एक मात्र कांग्रेस विधायक चंद्रशेखर को जल्द ही समायोजित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा कि मंत्रिमंडल में एक मंत्री पद अब भी खाली है और इसे जल्द ही भरा जाएगा। उन्होंने मंत्रियों के विभागों में फेरबदल करने के भी संकेत दिये। कांग्रेस सरकार के सोमवार को एक साल पूरा होने के एक दिन बाद राज्य मंत्रिमंडल का बहुप्रतीक्षित विस्तार किया गया। इसके साथ ही अब कैबिनेट में सदस्यों की संख्या 11 हो गई है।
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने यहां राजभवन में एक समारोह के दौरान मुख्यमंत्री सुक्खू और अन्य कैबिनेट मंत्रियों की उपस्थिति में नवनियुक्त मंत्रियों को पद की शपथ दिलाई। राज्यपाल दिल्ली में थे, लेकिन शपथ समारोह के लिए मंगलवार को शिमला पहुंचे। राजेश धर्माणी (51) पूर्व मुख्य संसदीय सचिव हैं और घुमारवीं से तीन बार के विधायक हैं। वहीं 37 वर्षीय यादवेंदर गोमा जयसिंहपुर से दो बार के विधायक हैं। दोनों नेताओं के पास इंजीनियरिंग एवं एमबीए की डिग्रियां हैं। बता दें कि पिछले साल 11 दिसंबर को मुख्यमंत्री सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के शपथ ग्रहण के बाद 8 जनवरी को मंत्रिमंडल का विस्तार कर 7 कैबिनेट मंत्रियों को शामिल किया गया था।
राजेश धर्माणी के शामिल किए जाने से बिलासपुर जिले को सरकार में प्रतिनिधित्व मिल गया है, जबकि गोमा के माध्यम से कांगड़ा जिले को एक और मंत्री मिल गया है। कांगड़ा जिले से कांग्रेस के 10 विधायक हैं। हिमाचल मंत्रिमंडल में कुल 12 मंत्री हो सकते हैं और एक पद अब भी खाली है। जबकि राज्य विधानसभा के उपाध्यक्ष का चुनाव लंबित है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने जनवरी में पहले विस्तार से पूर्व छह मुख्य संसदीय सचिवों की भी नियुक्ति की थी। नए विस्तार के बाद, कैबिनेट में मुख्यमंत्री सहित राजपूत समुदाय से पांच मंत्री, उपमुख्यमंत्री समेत ब्राह्मण समुदाय से दो, अनुसूचित जाति से दो और अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जनजाति से एक-एक मंत्री शामिल हैं।
मंत्रिमंडल में दो नए मंत्रियों को शामिल करने से ब्राह्मण और अनुसूचित जाति समुदायों का प्रतिनिधित्व बढ़ गया है, हालांकि ऐसा लगता है कि कांग्रेस सरकार राज्य के विभिन्न क्षेत्रों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने में विफल रही है। उदाहरण के लिए, शिमला जिले से कांग्रेस के सात विधायक हैं और मंत्रिमंडल में उसके तीन सदस्य हैं जबकि कांगड़ा जिले में पार्टी के 10 विधायक हैं, लेकिन वहां से केवल दो कैबिनेट मंत्री हैं। लोकसभा क्षेत्रवार देखें तो शिमला संसदीय क्षेत्र से पांच कैबिनेट मंत्री हैं, जबकि हमीरपुर और कांगड़ा निर्वाचन क्षेत्रों से क्रमशः तीन और दो मंत्री हैं।