सही रास्ता दिखाने के लिए पिता को डांटने का अधिकार-चंडीगढ़ कोर्ट|

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रागा न्यूज़, चंड़ीगढ़।

बच्चे को सही रास्ता दिखाने के लिए डांटना-डपटना पिता का अधिकार है। अगर पिता या बच्चे के अभिभावक ऐसे मामलों में सख्ती करते हैं तो वह दोषी नहीं, लेकिन ध्यान रहे कि किसी भी सूरत में बच्चों के साथ अत्याचार न हो। चंडीगढ़ की जिला अदालत ने ऐसे ही एक मामले में एक पिता को बरी करते हुए यह फैसला सुनाया।

किशनगढ़ में रहने वाले एक व्यक्ति ने आईटी पार्क थाने में अपने बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। पुलिस को दी शिकायत में उन्होंने बताया था कि उनका बेटा नौवीं कक्षा में पढ़ता है। 13 अगस्त 2018 की सुबह सात बजे उनका बेटा घर से स्कूल के लिए निकला था लेकिन वह लौटकर घर नहीं आया। उन्होंने बताया कि बेटे को सभी जगह ढूंढा लेकिन वह कहीं नहीं मिला। कुछ महीनों बाद 18 जून 2019 को बच्चा घर आ गया। पुलिस ने बच्चे के बयान अदालत में दर्ज करवाए। अपने बयान में बच्चे ने कहा कि पापा उसे मारते हैं जिस वजह से वह घर से भाग गया था। वह अमृतसर रेलवे स्टेशन में रह रहा था। इस पर अदालत ने बच्चे के पिता के खिलाफ जुवेनाइल एक्ट के तहत मामला दर्ज करने के आदेश दिए थे। जांच के दौरान बच्चे के पिता कई दिनों तक जेल में रहे हालांकि कुछ समय बाद उन्हें अदालत से जमानत मिल गई थी लेकिन अदालत में केस चल रहा था।
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जिला अदालत ने बच्चे की बात सुनने के बाद आरोपी पिता का पक्ष भी सुना, जिसमें यह बात सामने आई कि बच्चा बार-बार स्कूल से भाग जाता था और अभिभावकों के प्रति उसका रवैया भी ठीक नहीं था। ऐसे में पिता उसे पढ़ाई के लिए डांट दिया करते थे। जिला अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद पढ़ाई लिखाई न करने पर 14 वर्षीय बच्चे के साथ मारपीट करने के मामले में पिता को बेकसूर माना। दूसरी ओर, इस मामले में बच्चे की मां भी अपने बयानों से मुकर गई, जिसके चलते सबूतों के अभाव और पूरे मामले को देखते हुए अदालत ने पिता को बरी किया है। बच्चे की शिकायत पर पिता के खिलाफ जुलाई 2019 में जुवेनाइल एक्ट के तहत मामला दर्ज करने के आदेश दिए थे।

अदालत ने की यह टिप्पणी

कोई भी बच्चा जब पढ़ लिख नहीं रहा हो, स्कूल नहीं जाता हो तो कोई भी मां-बाप बच्चे के इस तरह के व्यवहार को स्वीकार नहीं करेंगे। पिता का अधिकार होता है कि वह अपने बच्चे को सही रास्ता दिखाए लेकिन जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 53 के तहत कोई भी अभिभावक बच्चे के साथ अत्याचार नहीं कर सकता।

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